राजेश दुबे
कोरोना महामारी के बाद उपजे भारत चीन सीमा पर जारी गतिरोध से देश भर में स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किया जा रहा है ।केंद्र सरकार से लेकर सामाजिक कार्यकर्ता चीन से आयातित वस्तुओं के बहिष्कार की बात कर रहे है ।भारत और चीन के बीच हर साल अरबों रुपए का कारोबार होता है और भारत के नागरिकों की स्वदेशी के प्रति जागरूकता से चाइना को भारी नुकसान हो सकता है इसमें कोई शक नहीं है ।
चीन को सबक सिखाने के लिए हमें जमीनी हकीकत से भी रूबरू होना होगा तभी इसमें हम सफल हो सकते है ,वरना चाइना अभी भी इस गुमान में है कि भारत के लोगो को चाइनीज सामानों की आदत पड़ गई है ,भारतीय कुछ दिन हंगामा करेंगे और फिर शांत हो जाएंगे ।मालूम हो कि भारत और नेपाल की खुली सीमा है और यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है कि चीन ने नेपाल में अपना दबदबा कायम किया है ।
नेपाल की सत्ता में चीन का सीधा हस्तक्षेप है और आज अगर नेपाल ने संसद में नया नक्सा पेश किया है तो उसमें भी चीन की भूमिका है ।नेपाल की इस खुली सीमा का लाभ चाइना पूर्व में भी उठाता रहा है और खुली सीमा के जरिए बड़े पैमाने पर तस्करी को अंजाम दिया जाता रहा है ,अब अगर भारत के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चाइना के साथ व्यापार को बंद किया जाता है तो वो इसका लाभ उठाएगा और नेपाली तस्करो के जरिए अपने उत्पादों को सस्ते दामों में भारत में बेचने का कार्य करेगा ।
सिलीगुड़ी कॉरिडोर के जरिए पूरे देश में अवैध तरीके से चीन निर्मित समान कम कीमत पर पहुंचाए जाएंगे और यह स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं है की देश की एक बड़ी आबादी को सस्ते दामों में कुछ भी मिले वो खरीद लेंगे ।
वहीं दूसरा रास्ता है नाथुला दर्रा जिसे 1962 के युद्ध के बाद बंद कर दिया गया था और 2006 में व्यापारिक समझौते के तहत खोल दिया गया ।नाथुला दर्रा तीन खुले व्यपारिक चौकियों में से एक है ।
जानकारी के लिए बता दूं कि भारत और चीन सेना के बीच समझौते के तहत चार व्यापारिक सीमा चौकी है चुशुल (लद्दाख), नाथू ला, बुम ला दर्रा (तवांग जिला, अरुणाचल प्रदेश) और लिपुलेख दर्रा (उत्तराखण्ड) इन सीमाओं के जरिए व्यापारिक गतिविधियों का संचालन सहित विवाद होने पर दोनों देशों की सेनाओं के अधिकारी बैठक करते है । जानकारों की माने तो इस रास्ते से बड़े स्तर पर अवैध कारोबार का संचालन होता है जिसे लेकर सुरक्षा एजेंसियां चिंतित रही है ।अब अगर दोनों देशों के बीच और तनाव बढ़ता है या फिर युद्ध की स्थिति बनती है तो केंद्र सरकार को इस और भी विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत पड़ेगी ।
उत्तराखंड और लद्दाख से लगती चीन की सीमा और अरुणाचल के बुमला दर्रा एवं नाथुला सीमा के स्थिति में बहुत अंतर है ना सिर्फ भौगोलिक बल्कि आबादी के दृष्टिकोण से भी इस लिए जमीनी हकीकत को देखते हुए रणनीति बनानी होगी तभी हम चीन को हर मोर्चे पर हराने में सफल होंगे ।






























