कहानी
स्वामी रामतीर्थ जब प्राध्यापक थे तब उन्होंने एक दिन अपने छात्रों के सामने काले तख्ते पर खड़िया से एक रेखा खींचकर कहा इसे बिना मिटाए छोटी करके दिखाओ ।
एक कुशाग्र बुद्धि बालक ने उसी रेखा के समीप एक दूसरी बड़ी रेखा खींच दी और पहले खींची हुई रेखा को बिना मिटाए ही छोटा करके दिखा दिया ।
इस पर रामतीर्थ बड़े ही प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा
छात्रों यही क्रम तुम्हें अपने जीवन में अपनाना है।
यदि तुम बड़े बनना चाहते हो तो उसके लिए अपने आसपास के लोगों को पीछे धकेलने की जरूरत नहीं है तुम बड़े काम करो और बड़े बनो तब दूसरे तुम से छोटे दिखाई देने लगेंगे ।






























