कटिहार/रितेश रंजन
यदि मन में स्वावलंबी बनने की ललक व मेहनत करने का जज्बा हो तो खेती आज भी लाभ का धंधा है। इसे चरितार्थ कर दिखाया है जिला मुख्यालय से 31 किमी दूर बरंडी नदी के किनारे बसे मोरसंडा गांव के किसानों ने। इस गांव के किसान के खेतों में लहलहा रहा धान,मक्का सहित बागवानी में केला व आम,कटहल ,लीची इस गांव के कृषक परिवारों की जिंदगी में न सिर्फ मिठास घोल रहा है, बल्कि गांव की पहचान भी बन गया है।
किसानी के दम पर इस गाँव के कई बेटे प्रशासनिक में आला पद को सुशोभित कर रहा है। बल्कि उन्नत खेती के दम पर ही यहाँ के किसान न केवल आलीशान महंगे घर में रहता है बल्कि सबसे महंगी फटफिया पर खेत खलिहानों का चक्कर भी लगा रहा है। कुल मिलाकर कहें तो इस गाँव के किसान खेती की कमाई से नौकरी वालों को मात दे रहे इस गांव के किसान,हर परिवार लखपती व खुशहाल है।
मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती…’
यह फिल्मी गाना 1967 में आई फ़िल्म उपकार का है। मनोज कुमार ने यह फ़िल्म पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नारे ‘जय जवान जय किसान’ के नारे को केंद्र में रखकर बनाई थी। इसी गाने की सच्चाई की राह मोरसंडा के किसान खुशहाली का पैगाम दे रहा है। पिछले वर्ष की तुलना में यहाँ के किसान ने मक्का की बंपर पैदावार की है।
इसका सीधा असर उसकी उन्नति पर दिख रहा है। यही कारण है कि आज भी कुछ किसान मक्का फसल तैयार करते दिखे। यही कारण है कि नदी के तट पर बसे गांव मोरसंडा के हर किसान के घर पर अपना कृषि यंत्र ट्रेक्टर,पटवन मशीन सहित बड़े बड़े पक्का मकान और किसान के दरवाजे पर चार चक्का वाहन के अलावा महंगी बाइक का होना गांव की समृद्धि बयां कर रही है।
खेती के दम पर गाँव के खुशहाल किसान मो० जफर हसन सन, 1988 में बीएससी की पढ़ाई पूर्ण कर तब से खेती कर रहे हैं,उन्होंने दो लड़का, औसाफ़ हसन इंजीनियरिंग हैदराबाद किया , दूसरा पुत्र सदफ हसन बीबीए पटना फाइनल किया है। एकलौती बेटी गुंचा जफर एमए की पढ़ाई पूर्ण की है। वे अपने पुश्तेनी जमीन में आठ बीघा, (आम, लीची,कटहल आदि की बागवानी के अलावा 20 बीघा जमीन पर धान मक्का, गेहूं खेती के अलावा तालाब में मछली पालन और पशु पालन कर वर्ष भर में पाँच लाख रुपये की आमदनी कर खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं। महंगी फटफिया से ये खेत खलिहान जाते हैं।
इस अलावा इसी गाँव के इंटर पास पप्पू झा खेती के बदौलत अच्छी जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं। उनका मानना है कि खेती ने उनके परिवार की जिंदगी बदल दी।
इसी गाँव के आलीशान मकान वाले अख्तर जमाल उर्फ टुनटुन मुख्य पेशा खेती व बागवानी है। खेती के दम पर वे लाखों की लागत से पक्का का आलीशान घर में रह रहे हैं।
इसी गाँव के मो० पप्पू भी लीज पर करीब दस बीघा खेती कर खुशहाली की जिंदगी बिता रहे हैं।
खेती से कामयाब किसान के पुत्र आज मो०आमिल एगलिक्चर एसडीओ पूर्णिया से सेवानिवृत्त हुवे , उनका तीन पुत्र प्रवेज, सोनू, छोटू
अमेरिका में इंजीनियर हैं। उनका छोटा पुत्र डॉ० सिबली एम्स दिल्ली में कार्यरत है। इसके अलावा
गांव के किसान कपिल प्रसाद मंडल का नाती पंकज कुमार वर्तमान में एसपी है ।और पुत्र डॉ विभूति कुमार पूर्णिया में चाइल्ड स्पेशलिस्ट। डॉ अलख कुमार मंडल पिता कृत्यानंद मंडल भागलपुर में है।एक छोटा पुत्र निरंजन मंडल चमरिया कॉलेज कटिहार के प्रिंसिपल है।इसके अलावा किसान रमाकांत मंडल के पुत्र बीएन कॉलेज पटना कैमेस्ट्री लेक्चरर, आशुतोश कुमार सेल्स टैक्स ऑफिसर प्रभात कुमार- छपरा सारण में तैनात है।
कुल मिलाकर कहें तो किसानी से समृद्ध मोरसंडा गाँव खुद में एक मिसाल कायम किया है।
क्या बोले गाँव के मुखिया:- मुझे अपने गाँव पर गर्व है कि किसानी के बदौलत आज हर घर खुशहाली की जिंदगी जी रहा है।
—- गोपाल कृष्ण, मुखिया, मोरसंडा
सच मुच मोरसंडा गाँव के किसान काफी मेहनती और धनी है, हर गाँव के लोगों को सबक लेने की जरूरत है