किशनगंज /प्रतिनिधि
समाहरणालय स्थित सभाकक्ष में जिलाधिकारी,किशनगंज, श्रीकांत शास्त्री की अध्यक्षता में नमामि गंगे अंतर्गत जिला गंगा समिति की बैठक की संपन्न हुई। उक्त बैठक में “राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन” के तहत गंगा की सहायक नदियों को स्वच्छ एवं निर्मल बनाने के निमित्त बैठक में उपस्थित सभी संबंधित पदाधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश दिये गए।
नमामि गंगे अंतर्गत जिला गंगा समिति की बैठक में उपस्थिति संबंधित पदाधिकारियों को अवगत कराया गया कि नदियों के प्रदूषण पर नियंत्रण एवं नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए नमामि गंगे परियोजना का संचालन सरकार द्वारा की गई है।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य नदियों में बहने वाले ठोस कचरे की समस्या को हल करने तथा ग्रामीण क्षेत्रों की साफ-सफाई से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों की नालियों में आने वाले मैले पदार्थ ठोस एवं तरल पदार्थों को नदियों में जाने से रोका जा सके। गंगा एवम इसकी सहायक नदियों, घाटों के निर्माण मरम्मत और आधुनिकीकरण का लक्ष्य निर्धारित है। इन गतिविधियों के अलावा जैविक विविधता संरक्षण वनीकरण और पानी की गुणवत्ता की निगरानी हेतु कदम उठाए जाना है। वर्तमान समय में गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के प्रदूषण को समाप्त करने तथा नदी को पुनर्जीवित करने के लिए नमामि गंगे एक महत्वाकांक्षी योजना है।
एजेंडा के अतिरिक्त पूर्व की बैठक में लिए गए निर्णय के आलोक में जिला पदाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने बैठक में किशनगंज में प्रवाहित रमजान नदी की सफाई और अतिक्रमण मुक्त करने पर कार्ययोजना के बारे में पूछा। रमजान नदी के काया कल्प को लेकर डीएम सख्त दिखे। नगर परिषद द्वारा बताया गया कि रमजान नदी का सीमांकन प्रारंभ है ,लगभग 80 % कार्य हो चुका है। इनका गहन अनुश्रवण नगर परिषद, किशनगंज कार्यालय के अभियंता कर रहे हैं। बता दें कि पिछली बैठक में हुए निर्णय के आलोक में अनुमंडलाधिकारी,अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी,अंचलाधिकारी और कार्यपालक पदाधिकारी नप किशनगंज आपसी समन्वय से रमजान नदी का अतिक्रमण मुक्त हेतु सीमांकन करवा रहे है।
रमजान नदी क्षेत्र के जमीन की खरीद बिक्री,कोर्ट केस पर विमर्श कर कार्ययोजना बनाया गया था।शहरी क्षेत्र में सफाई अभियान तथा एकल प्लास्टिक उपयोग पर प्रतिबंध को लेकर निर्देश दिए गए।
बैठक में पूर्व की बैठक में दिए गए निर्देश का अनुपालन की समीक्षा की गई। डीएम ने कहा कि महानंदा, डोंक आदि सहायक नदियों में ग्रामीणों के फेके गए कचरा से सहायक नदियों में कचरा समाहित होकर गंगा नदी को प्रदूषित करते हैं। इससे जलीय जीवों एवं हमारे रोजमर्रा के जिंदगी में प्रतिकूल असर पड़ता है अथवा भू -गर्भ में समाहित होकर हमारे जल स्तर को प्रदूषित कर देते है। पथ निर्माण विभाग,पुल निर्माण निगम को जन जागरूकता हेतु निर्देशित किया गया।
बैठक में आमजनों एवं नदियों के बीच बेहतर संबंध के लिए घाटों की सुव्यवस्थित ढंग से मरम्मति कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने पर बल दिया गया। विशेषकर शवदाह गृह निर्माण पर विमर्श हुआ।सभी नगर निकाय में ठोस कचरा प्रबंधन की समीक्षा की गई। स्थानीय स्तर पर नदी – नाला में कचरा (Wastage) नहीं डालने के लिए लोगो को प्रेरित करने का निर्देश दिया गया तथा यह भी अवगत कराया गया कि “नमामि गंगे योजना” जल प्रदूषण को नियंत्रित करने का उचित माध्यम है । अपने नगर निकाय में कार्यपालक पदाधिकारी ठोस कचरा प्रबंधन सुनिश्चित करवाएं।
बुडको के पदाधिकारियों के द्वारा प्रस्तावित एक विद्युत शवदाह गृह, दो लकड़ी शव दाह गृह के निर्माण की अद्यतन स्थिति से अवगत कराया गया। कार्य प्रक्रियाधीन है। नदी किनारे खनन और घाट पर वृक्षारोपण पर विमर्श किए गए।
पीएचइडी को गंगा की सहायक नदियों एवं उप नदियों के किनारे पंचायत वार्ड में ग्राउंड वाटर की स्थिति और नदी के किनारे अवस्थित प्रखंड एवं पंचायत वार गांव का वार्डवार जल स्तर की स्थिति की निगरानी का निर्देश दिया गया।
इस बैठक में जिला परिषद अध्यक्षा, उप विकास आयुक्त, जिला गंगा समिति के संयोजक वन प्रमंडल पदाधिकारी,अररिया, अनुमंडलाधिकारी,वरीय उप समाहर्त्ता(सामान्य) एवम समिति के अन्य सदस्य तथा संबद्ध विभागो के कार्यपालक अभियंता व अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।