- 12 जानलेवा बीमारियों से बचाता है सम्पूर्ण टीकाकरण
- बच्चों और नवजात बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने को नियमित टीकाकरण है बहुत जरूरी
किशनगंज /प्रतिनिधि
नियमित टीकाकरण को बढ़ावा देने को लेकर सोमवार को सदर अस्पताल में 25 एएनएम को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षुओं को नियमित टीकाकरण के फायदे, इसके रख-रखाव के तरीके, किस रोग में कौन सा टीका देना चाहिए एवं सुरक्षित इंजेक्शन एवं टीकाकरण के कचरे को निष्पादन करने के बारे में जानकारी दी गई। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ रफत हुसैन ने कहा कि नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत वैसे एएनएम जिन्हें टीकाकारण का प्रशिक्षण प्राप्त नहीं हुआ है साथ ही वैसे टीकाकर्मी जिन्हें टीकाकरण के संबंध जानकारी की कमी हो को चिह्नित करते हुए जिला स्तर पर प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस कायर्क्रम के तहत 15 एवं 16 मार्च को जिले के सातों प्रखंड के 25 ए एन एम् एवं टीकाकमिर्यों को प्रशिक्षण दिया जायेगा | साथ ही 16-17 एवं 18-19 मार्च को जिले के 07 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के 50 एएनएम एवं टीकाकमिर्यों को दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाना है। यह दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम 03 चरणों में जिले के सातों प्रखंड के 75 एएन एम् को दिया जायेगा ।

टीकाकरण प्रतिशत बढ़ाने की जरूरत :
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ रफत हुसैन ने बताया राज्य में नियमित टीकाकरण 83 प्रतिशत है लेकिन जिले में 78 प्रतिशत है। इसे अभी और बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके लिए सभी एएनएम और आशा को मेहनत करने की जरूरत है। उन्होंने सभी एएनएम को टीकाकरण के महत्व के बारे में अभिभावकों को बताने का निर्देश दिया।
टीकाकरण के लिए प्रशिक्षण है जरूरी-
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ.रफत हुसैन ने कहा कि टीकाकारण कार्य के लिए दक्ष होना अतिआवश्यक है क्योंकि इन टीकों को देने की प्रक्रिया अत्यन्त महत्वपूर्ण है। यदि सही ढ़ंग से टीका नहीं दिया गया तो इसका लाभ नहीं मिल पायेगा| इसलिए आवश्यक है कि टीकाकरण कार्य के लिए टीकाकर्मियों को प्रशिक्षित किया जाय। बचपन में होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए सबसे बेहतर उपाय टीकाकरण है। इससे धन, ऊर्जा एवं जीवन की बचत होती है तथा शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में काफी सहायक होता है। टीकाकरण के दौरान पड़ने वाली वैक्सीन शरीर को रोग से लड़ने की क्षमता को बढ़ाती है। बताया कि टीका हमेशा सही रूट एवं सही जगह पर देना चाहिए तथा टीके वाले जगह पर रूई से हल्का दबाना चाहिए न कि उस स्थान को रगड़ दें। शिशु को कभी भी कूल्हे पर टीका न दें, इससे टीका का असर कम होता है और उस क्षेत्र की नसों को नुकसान हो सकता है।
12 जानलेवा बीमारियों से बचाता है सम्पूर्ण टीकाकरण :-
डब्ल्यूएचओ एसएमओ अमित राव ने टीकाकरण में शीत श्रृंखला के महत्व पर व ए0ई0एफ0आई0 के बारे में विस्तार पूवर्क जानकारी दी ।साथ ही सत्र आयोजन एवं समाप्ति बाद एएनएम के दायित्वों पर एजाज एहमद (यूनिसेफ के एस एम् सी) ने विस्तार पूर्वक बताया| उन्होंने टीकाकरण में जागरूकता (मोबलाइजेशन) की भूमिका पर भी जोर डाला। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान एएनएम को डब्ल्यूएचओ के एस एम् ओ डॉ अमित राव के द्वारा 12 जानलेवा बीमारियों के बारे विस्तारपूर्वक बताया गया। जिसमें टीवी, हेपेटाइटिस बी, पोलियो, गलघोटू, काली खांसी, टेटनस, हीमोफिलस इनफ्लून्जा टाइप बी, रोटावायरस डायरिया, न्योमोकोकल निमोनिया, खसरा, रूबैला एवं जापानी इंसेफलाइटिस मुख्य हैं।
बच्चों और नवजात बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिए नियमित टीकाकरण है बहुत जरूरी
नियमित टीकाकरण पर जोर देते हुए सिविल सर्जन डॉ.श्री नंदन ने कहा कि यह एक स्वस्थ्य राष्ट्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कायर्क्रम है जो गर्भवती महिलाओं से आरंभ होकर शिशु को पाँच साल तक नियमित रूप से दिये जाते है। ये टीके शिशुओं को कई प्रकार के जानलेवा बीमारियों से बचाते हैं। शिशुओं को दिया जाने वाला टीका शिशुओं के शरीर में जानलेवा संबंधित बीमारियों से बचने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को विकसित और मजबूती प्रदान करते हैं। इस प्रकार कई तरह के जानलेवा बीमारियों से शिशुओं को बचने के खास टीके विकसित किये गये हैं, जिनका टीकाकरण करवाना आवश्यक है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ रफत हुसैन , रीना प्रवीन ,यूनिसेफ के एसएमसी एजाज एहमद एवं, डब्ल्यूएचओ एसएमओ डॉ अमित राव तथा अन्य पदाधिकारी एवं कर्मी मौजूद रहे |
सम्पूर्ण टीकाकरण से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी :
डॉ. रफत हुसैन ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में बताया बच्चे को रोगों से बचाने के लिए संपूर्ण टीकाकरण जरूरी है। न्यूमोकोकल टीका (पीसीवी) निमोनिया, सेप्टिसीमिया, मैनिंगजाइटिस या दिमागी बुखार आदि से बचाव करता है।
ये हैं जरूरी टीके:
•जन्म होते ही – ओरल पोलियो, हेपेटाइटिस बी, बीसीजी
•डेढ़ महीने बाद – ओरल पोलियो-1, पेंटावेलेंट-1, एफआईपीवी-1, पीसीवी-1, रोटा-1
•ढाई महीने बाद – ओरल पोलियो-2, पेंटावेलेंट-2, रोटा-2
साढ़े तीन महीने बाद – ओरल पोलियो-3, पेंटावेलेंट-3, एफआईपीवी-2, रोटा-3, पीसीवी-2
नौ से 12 माह में – मीजल्स 1, मीजल्स रुबेला 1, जेई 1, पीसीवी-बूस्टर, विटामिन ए
•16 से 24 माह में:
मीजल्स 2, मीजल्स रुबेला 2, जेई 2, बूस्टर डीपीटी, पोलियो बूस्टर, जेई 2
ये भी हैं जरूरी:
5 से 6 साल में – डीपीटी बूस्टर 2
10 साल में – टेटनेस
15 साल में – टेटनेस
गर्भवती महिला को – टेटनेस 1 या टेटनेस बूस्टर
साथ ही बच्चा छह महीने से कम का है, तो 6 महीने तक नियमित रूप से केवल स्तनपान कराएं। स्तनपान प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में जरूरी है।
साथ ही संक्रमण से बचाने के लिए कोविड-19 के इन नियमों का पालन करना जरूरी है :
- अस्पताल जाने के लिए बिना मास्क के घर से बाहर न निकलें
- अस्पताल में टीका दिलाते समय दो गज की शारीरिक दूरी का पालन करें
- टीका दिलाते समय बच्चों को अपनी गोद में रखें
- छोटे बच्चों को नियमित रूप से समय समय पर हाथ धोने के लिए प्रेरित करें
- घर में बाहर से आने वाले लोगों से बच्चों को दूर रखें
