मातृत्व स्वास्थ्य मजबूत करने की बड़ी पहल,एनीमिया मुक्त गर्भवती—सुरक्षित प्रसव—स्वस्थ नवजात की दिशा में तेज प्रयास

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समुदाय स्तर पर जागरूकता अभियान तेज, संस्थागत प्रसव व नियमित टीकाकरण पर विशेष फोकस


जिलाधिकारी व स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त पहल से मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी का लक्ष्य

किशनगंज/प्रतिनिधि


जिले में मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने और सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन ने व्यापक जागरूकता अभियान तेज कर दिया है। गर्भवती महिलाओं में एनीमिया के उच्च प्रचलन, चौथी एएनसी जांच की कमी और घर पर होने वाले जोखिमपूर्ण प्रसव को देखते हुए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार समुदाय स्तर पर संवाद स्थापित कर रही हैं।हर पंचायत और गांव में महिलाओं को यह समझाया जा रहा है कि एनीमिया गर्भावस्था में सबसे बड़ा जोखिम है, जो प्रसव के दौरान जटिलताएं, गंभीर रक्तस्राव और नवजात में कम वजन जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है।

इसी के साथ संस्थागत प्रसव, समय पर टीकाकरण और नियमित एएनसी जांच को मातृ-शिशु स्वास्थ्य की सबसे बड़ी सुरक्षा ढाल बताया जा रहा है। इसी क्रम में जिले के सभी प्रखंडों में चिकित्सा पदाधिकारियों द्वारा समीक्षा बैठक आयोजित की गई।

बैठक में ड्यू लिस्ट की स्थिति, गर्भवती महिलाओं की चौथी एएनसी, एनीमिया जांच, संस्थागत प्रसव, टीकाकरण और परिवार नियोजन पखवाड़ा की प्रगति की समीक्षा की गई। सभी प्रखंडों को निर्देश दिया गया कि वे समुदाय स्तर पर जागरूकता बैठकों की संख्या बढ़ाएं और उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं पर विशेष निगरानी रखें।

मातृत्व स्वास्थ्य पर व्यापक रणनीति एनीमिया नियंत्रण को प्राथमिकता


जिला पदाधिकारी विशाल राज के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने गांव स्तर पर सक्रियता बढ़ा दी है। ड्यू लिस्ट की विशेष समीक्षा करते हुए गर्भवती महिलाओं की समय पर पहचान, हीमोग्लोबिन जांच और आयरन-फोलिक एसिड (IFA) टैबलेट वितरण को सबसे प्राथमिक कार्य घोषित किया गया है।

डीएम विशाल राज ने कहा की मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करना जिले की सर्वोच्च प्राथमिकता है। एनीमिया नियंत्रण, संस्थागत प्रसव और नियमित टीकाकरण इस लक्ष्य की सबसे मजबूत नींव हैं। समाज का सहयोग इसे सफल बनाएगा। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया गया है कि वे पंजीकृत गर्भवती महिलाओं से न केवल संपर्क बनाए रखें बल्कि यह भी सुनिश्चित करें कि चौथी एएनसी जांच किसी भी हालत में न छूटे, क्योंकि इसी जांच में गर्भावस्था के अंतिम महीनों के गंभीर जोखिमों का पता चलता है।


नियमित टीकाकरण और पोषण पर जोर नवजात और गर्भवती के लिए ‘सुरक्षा कवच’ तैयार किया जा रहा

सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया कि जिले में नियमित टीकाकरण को तीव्र गति से आगे बढ़ाया जा रहा है। स्वास्थ्य टीमों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश है कि किसी भी बच्चे या गर्भवती महिला को टीकाकरण से वंचित न रहना पड़े।उन्होंने कहा की टीकाकरण और एनीमिया नियंत्रण नवजात मृत्यु दर घटाने का सबसे प्रभावी माध्यम है।

हमारी टीमें घर–घर जाकर परिवारों को जागरूक कर रही हैं। आयरन–फोलिक एसिड और कैल्सियम की खुराक व्यापक रूप से वितरित की जा रही है।साथ ही, गर्भवती महिलाओं को पोषक आहार, हरी सब्जियों, दालों, अंकुरित अनाज, और पर्याप्त पानी पीने के महत्व के बारे में बताया जा रहा है। आंगनवाड़ी, आशा और एएनएम मिलकर कुपोषित और एनीमिक गर्भवती महिलाओं की अलग सूची बनाकर फॉलो-अप कर रही हैं।
संस्थागत प्रसव को बढ़ावा घरेलू प्रसव से होने वाले जोखिमों पर समुदाय को जागरूक किया जा रहा

स्वास्थ्य टीमों द्वारा गांव–गांव बैठकों में यह समझाया जा रहा है कि घरेलू प्रसव में सबसे बड़ा खतरा अचानक होने वाला रक्तस्राव और प्रसव पीड़ा के दौरान जटिलताएं हैं, जिनका सही प्रबंधन केवल स्वास्थ्य संस्थानों में ही संभव है।महिलाओं को बताया जा रहा है कि अस्पताल में प्रसव होने पर प्रशिक्षित नर्सें और चिकित्सक उपलब्ध रहते हैं,जटिलता की स्थिति में तत्काल उपचार मिलता है,नवजात का टीकाकरण और जन्म के बाद जांच तुरंत हो जाती है,एनीमिया और रक्त की कमी पर तुरंत नियंत्रण किया जा सकता है,सिविल सर्जन ने कहा की हमारा लक्ष्य है कि जिले में कोई भी गर्भवती महिला बिना जांच और प्रसव योजना के न रहे। संस्थागत प्रसव सुरक्षित मां और स्वस्थ शिशु की कुंजी है।


जनभागीदारी से मिलेगी सफलता गांव–गांव फैलाया जा रहा स्वास्थ्य संदेश


डीपपिएम् डॉ मुनाजिम ने कहा की आशा, आंगनवाड़ी और स्वास्थ्य टीमों के सहयोग से कई गांवों में ‘मातृत्व स्वास्थ्य जागरूकता सभाएं’ आयोजित की जा रही हैं, जहां बिहार सरकार की योजनाओं—मुख्यमंत्री मातृत्व योजना, जननी सुरक्षा योजना, नियमित टीकाकरण कार्यक्रम—के लाभों को विस्तार से बताया जा रहा है।सिविल सर्जन ने आगे कहा सभी स्वास्थ्य कार्यक्रमों की सफलता का आधार जनभागीदारी है। परिवार, समुदाय और संस्थान मिलकर यदि गर्भवती महिलाओं को सही देखभाल दें तो मातृत्व स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार संभव है। जागरूकता अभियान के माध्यम से जिले में सुरक्षित मातृत्व को जन-आंदोलन बनाने का प्रयास जारी है।

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