कुमार राहुल
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या ,जिसे हत्या होने की भी आशंका जाहिर की जा रही है। और इस आशंका को बल तब मिला, जब बिहार में इस केस का एफ आई आर हुआ, और सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दे दिया ।उससे पहले मुंबई पुलिस बिहार के आईपीएस ऑफिसर को जांच से दूर रखने के लिए क्वॉरेंटाइन कर दिया ,और मुंबई पुलिस बड़े-बड़े डायरेक्टर, प्रोड्यूसर ,आर्टिस्ट को interogate करना शुरू कर दी।
जबकि डेड बॉडी मिलने के बाद यह जांचने की कोशिश नहीं की गई ,कि गले में फंदे का मार्क होरिजेंटल क्यों है, जीभ निकले हुए क्यों नहीं थी आंखें बाहर क्यों नहीं आई ,कमरे को किन परिस्थिति में चाबी वाले को बुलाकर खोला गया ,बगैरह-बगैरह। बल्कि जांच को उस ओर मोड़ा गया ,कि फिल्म इंडस्ट्री में भाई भतीजावाद के शिकार हुए सुशांत ।
दरअसल सुशांत सुसाइड को बड़े एक्टर ,डायरेक्टर, प्रोड्यूसर के साथजोड़ा गया, सत्ताधारी शिवसेना के इशारे पर। शिवसेना, जिसका हफ्ता वसूली का लंबा इतिहास रहा है, बाला साहब ठाकरे खुले तौर पर कह चुके हैं पार्टी चलाने के लिए फंड कहां से आएगा ।सत्ता में साझीदार congress party के अजय माकन भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर shiv sena को हफ्ता वसूल party कह चुके हैं।
mumbai पुलिस की जांच की आंच फिल्म इंडस्ट्री के धनी सेठो पर आएगी ,तो बड़ी रकम पार्टी, को देखकर सत्ताधारी पार्टी की मदद से अपने आपको बचा लेंगे। और सुसाइड केस की इंक्वायरी इतनी लम्बी खीचेगी ,कि धीरे-धीरे लोगों के जेहन से बात उतर जाएगी।जैसे जिया खान आत्महत्या के मामले में आज तक कोई रिजल्ट नहीं आया है।

जब संजय लीला भंसाली, महेश भट्ट सरीखे लोगों की interogation चल रही थी, तो पूरे देश के मीडिया मे भाई भतीजे वाद पर बहस छिड़ गई थी ।यह सच है ,कि लगभग 40 सालों से फिल्म इंडस्ट्री में पंजाबीयो और खान लोगो का दबदबा कायम रहा है ।इन परिस्थितियों में भी अजय देवगन और अक्षय कुमार जैसे आर्टिस्ट पिछले 30 साल से इंडस्ट्री में टिके हुए हैं और सुनील शेट्टी ,मिथुन चक्रवर्ती ,shatrughan sinha, सरीखे आर्टिस्ट जो साधारण रंग रूप के रहे हैं उन्हें उन्हें चांस कैसे मिला,वे इतने दिनों तक इंडस्ट्री में कैसे टिके हुए हैं ।
सुशांत सिंह राजपूत भी 6 साल तक सीरियल में काम करते रहें ,अंतिम 6 वर्षों में उन्होंने 11 फिल्मों में काम किया, अधिकतर बड़े बैनर्स और डायरेक्टर्स के साथ , जिनमें से छह से ज्यादा फिल्में हिट है। अब सवाल यह है कि भाई भतीजावाद कहां नहीं है। हमारी सोच भी कहीं न कहीं nepotism को अग्रसारित करने मे मदद करती हैं। वरना नेहरू के बाद इंदिरा गांधी,फिर राजीव गांधी अब राहुल गांधी… बिहार में लालू यादव, राबरी देवी ,मिसा भारती, तेजस्वी यादव और रामविलास पासवान का पूरा खानदान ही आज MP ,MLA,ZILAPARISAD इत्यादि है,,।
ऐसे लोगों को भाई भतीजावाद बढ़ाने का मौका हम लोगों ने ही दिया है ।राजनीति में पूरे खानदान की पॉलिटिकल Launching चुनाव में उतार कर होती है, जहां उन्हें राजनीतिक प्रतिभा की जरूरत ही नहीं पड़ती।वे अपने पिता और माता की राजनीतिक विरासत के उत्तराधिकारी होते हैं ।
अगर चुनाव जीत गए ,तो 5 साल में जनता स्वीकार भी कर लेती है। वरना आंदोलन कर कम समय में ही नेता बनने वाले अरविंद केजरीवाल जैसे कम ही होते हैं। जबकि film industries मे मामला उल्टा है ,बेशक पिता या संबंधी उन्हें फिल्म में लांच कर दे, अगर प्रतिभा नहीं ,तो एक शुक्रवार की लॉन्चिंग से दूसरे शुक्रवार आते-आते या तो वह हीरो बन जाते हैं, या जीरो साबित हो जाते हैं। कुमार गौरव तो आपको शायद याद भी नहीं होंगे।
संजय दत्त कई बार जेल काटने के बाद भी आज भी टिके हुए हैं। विद्युत जामवाल ,,(कमांडो फेम) , आयुष्मान खुराना ( लगातार7 हिट फिल्में दी है), विकी कौशल (उरी द सर्जिकल स्ट्राइक) को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए किसी गॉडफादर की जरूरत नहीं पड़ी। जबकी अभिषेक बच्चन …..बच्चन सरनेम के सहारे 20 सालों से इंडस्ट्री में टिके हुए , अभिषेक बच्चन ने लगभग सभी बड़े डायरेक्टर प्रोड्यूसर के साथ काम किया ।
लेकिन आज तक एक्टिंग नहीं सीख पाए। कंगना रनौत और विद्या बालन अपने दम पर फिल्म में चला लेने का माद्दा रखती हैं , कंगना रनौत ने ही फिल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज्म के विरुद्ध सबसे अधिक आवाज बुलंद किया ।करे भी क्यों ना,जब करण जौहर जैसे निर्माता-निर्देशक ,कपिल शर्मा शो में खुले तौर पर कह चुके हैं, कि स्टारर्किड उनके लिए लकी और प्रॉफिटेबल साबित हुए हैं ।सुशांत सिंह राजपूत मामले में नेपोटिज्म का मामला उठा ,तो कई बड़े स्टार ने चुप्पी साध रखी ।लेकिन अभी लेटेस्ट रिएक्शन करीना कपूर का आया है उसने कहा, कि लोगों ने उन्हें बनाया है ,अब लोग चाहे तो उनकी फिल्में ना देखें वैसे करीना कपूर उम्र के जिस पड़ाव में है जहां उन्हें अपने बदौलत फिल्में चलाना बहुत ही मुश्किल है। अब जब करीना कपूर ने खुद ही अपील किया, तो लोग जरूर ध्यान देंगे।
अगर फिल्म इंडस्ट्री की बात करें तो करीना का मायके और ससुराल दोनों पक्ष भाई भतीजावाद से ग्रसित है ।पृथ्वीराज कपूर की चौथी पीढ़ी film industries में नाम और दाम दोनों काम आ रही है ।एक इंटरव्यू में रणधीर कपूर ने कहा था, कि उन्हें राज कपूर का बेटा होने का बहुत बड़ा फायदा हुआ, जबकि साधारण से दिखने वाले रणधीर कपूर और राजीव कपूर जितने मोटे थे ,और उनमें उतना एक्टिंग टैलेंट भी नहीं था ,राज कपूर के बेटे नहीं होते ,तो शायद फिल्म में कभी काम भी नहीं मिलता।
सैफ अली खान, सोहा अली खान और सारा अली खान सब के सब शर्मिला टैगोर की वजह से आज फिल्म इंडस्ट्री में पांव जमाने में कामयाब हुए हैं। वैसे नेपोटिज्म कहां नहीं है प्रत्येक डॉक्टर अपने बेटे को डॉक्टर बनाने की कोशिश करता है ।उसी तरह हर एक इंजीनियर भी चाहता है ,उसका बेटा इंजीनियर बने ।और बिजनेसमैन तो अपने बाद अपनी बागडोर बेटे -बेटियों को ही सौपते हैं ।
जबकि टाटा संस ,इंफोसिस जैसी बिजनेस हाउस हैं जो कि अपनी कंपनी को चलाने के लिए उच्च पदों में talented लोगो को बिठाते हैं। जहां तक सुशांत की बात है, वह अपनी प्रतिभा और मेहनत के बल पर जिंदगी की बुलंदियों पर अग्रसर थे ।मुश्किलें तो हर एक को झेलनी पड़ती है ,फिर भी सुशांत का सक्सेस रेट काफी अच्छा था । सुशांत की मौत ने उनके फैंस को गहरा सदमा दिया है ।लेकिन जांच मुंबई पुलिस से सीबीआई के हाथों जाने से जांच की दिशा नेपोटिज्म से इतर संभावित हत्या आरोपी की ओर मुड़ी है ।उम्मीद की जा रही है कि सुशांत को इंसाफ मिलेगा।