देश/डेस्क
किसान संगठनों एवं केंद्र सरकार के बीच आठवें दौर की वार्ता भी आज विफल हो गई । मालूम हो कि दिल्ली के विज्ञान भवन में आज किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच आठवें दौर की वार्ता आयोजित की गई ,लेकिन यह बैठक एक बार फिर बेनतीजा रही है । बता दें कि कृषि कानूनों के खिलाफ बीते 44 दिनों से किसान आंदोलन कर रहे है और देश को यह उम्मीद थी कि आज समस्या का हल निकलेगा ।
लेकिन किसान नेता कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े रहे जिसके बाद आगामी 15 जनवरी को पुनः बैठक करने का फैसला दोनों पक्षों के द्वारा लिया गया है ।
बैठक समाप्ति के बाद किसान संगठन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि तारीख पर तारीख चल रही है। बैठक में सभी किसान नेताओं ने एक आवाज़ में बिल रद्द करने की मांग की। हम चाहते हैं बिल वापस हो, सरकार चाहती है संशोधन हो। सरकार ने हमारी बात नहीं मानी तो हमने भी सरकार की बात नहीं मानी ।
वहीं कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि आज किसान यूनियन के साथ तीनों कृषि क़ानूनों पर चर्चा होती रही परन्तु कोई समाधान नहीं निकला। सरकार की तरफ से कहा गया कि क़ानूनों को वापिस लेने के अलावा कोई विकल्प दिया जाए, परन्तु कोई विकल्प नहीं मिला साथ ही 15 जनवरी को बैठक आहूत करने की जानकारी दी है ।
कृषि क़ानूनों का समर्थन कर रहे किसान संगठनों को बैठक में शामिल करने पर कृषि मंत्री ने कहा कि अभी इस प्रकार का कोई विचार नहीं है, अभी हम आंदोलन कर रहे पक्ष से बात कर रहे हैं, परन्तु अगर आवश्यकता पड़ी तो आने वाले समय में सरकार इसपर विचार कर सकती है ।मालूम हो कि 26 जनवरी को किसान नेताओं ने राजपथ पर ट्रैक्टर परेड करने की धमकी दी है ।जारी किसान आंदोलन को लेकर राजनीति भी तेज हो चुकी है और कांग्रेस किसानों के कंधे पर बंदूक रख कर सरकार को घेरने में जुटी हुई है ऐसे में यह आंदोलन और क्या रूप लेता है देखने वाली बात होगी ।





























