कविता : देव और दानव बच न सके !

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मधुबाला मौर्या

तुमको है अभिमान दशानन
भगवती हर के लाये हो
प्राण पखेरू उड़ जायेंगे
दर्शन होंगे जब रघुवर के,

तुमको है अभिमान दुशाशन
केश खींच के लाये हो
प्राण पखेरू उड़ जायेंगे
दर्शन होंगे जब मुरलीधर के,

कहे कवयित्री मधुबाला
नारी का सम्मान करो
देव और दानव बच न सके
यहाँ विष्णु भी पाषाण हु ll

कविता : देव और दानव बच न सके !