सुपौल ब्यूरो की रिपोर्ट।
सुपौल : कहने को तो बिहार विधानसभा चुनाव में अभी विलंब है, लेकिन सरजमीनी सच्चाई यही है कि चुनावी बिसात बिछ चुकी है। सुपौल विधानसभा क्षेत्र का 1990 से विजेंद्र प्रसाद यादव लगातार प्रतिनिधत्व कर रहे हैं।
2015 की जीत में राजद की बड़ी भूमिका थी। राजद का भी साथ रहने के कारण यादव ने भारी मतों से जीत का परचम लहराया था। हां, इसबार स्थिति अलग है। सवाल उठता है कि महागठबंधन से विजेंद्र के खिलाफ कौन? चर्चा में कई नाम हैं। इन्हीं में से एक नाम राजद महिला प्रकोष्ठ की जिला प्रवक्ता चन्द्रिका कुमारी का भी है।
डॉक्टर साहेब की मां राजद से किस्मत आजमाएंगी तो विजेंद्र यादव के लिए किला फतह नहीं होगा आसान
लोगों का कहना है कि अगर राजद नेत्री चन्द्रिका कुमारी बतौर महागठबंधन उम्मीदवार चुनाव में किस्मत आजमाएंगी तो विजेन्द्र प्रसाद यादव की मुश्किलें बढ़ने से इन्कार नहीं किया जा सकता। यहां बता दें कि चन्द्रिका कुमारी शहर के जाने-माने चिकित्सक डॉ आलोक की मां हैं। फलस्वरूप बुद्धिजीवी वर्ग का भी समर्थन मिलने से इन्कार नहीं किया जा सकता।
चन्द्रिका कुमारी के बारे में बताया जाता है कि वे जमीन से जुड़ी हुई नेत्री हैं। राजनीतिक पंडितों की माने तो अगर सुपौल विधानसभा क्षेत्र से बतौर राजद उम्मीदवार चन्द्रिका कुमारी किस्मत आजमाएंगी तो इसबार विजेंद्र यादव के लिए जीत का परचम लहराना वाकई कठिन साबित होगा।
बताया जाता है कि चन्द्रिका कुमारी की महिलाओं के बीच जबर्दस्त पकड़ है। उनके लिए यह प्लस है कि वे दुःख की घड़ी में लगातार क्षेत्र में रहती हैं। लोग बताते हैं कि सुख की घड़ी में भले ही चन्द्रिका जी न दिखे लेकिन दुःख की घड़ी में वे हर जगह नजर आती हैं। इधर, जब किसी को उनसे मिलना हो तो वे आसानी से मिल भी लेती हैं और शहर व गांव की सामाजिक गतिविधियों में भागीदारी निभाती रहती हैं।
बहरहाल, क्या होगा यह तो आने वाले दिनों में ही पता चल पाएगा, लेकिन इस बात की चर्चा जोरों पर है कि अगर डॉक्टर साहेब की मां राजद से किस्मत आजमाएंगी तो विजेंद्र यादव के लिए किला फतह आसान नहीं होगा।