बिन पायलट, एयर कांग्रेस

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कुमार राहुल


जिस  तरह एयर इंडिया एक खस्ता हाल एयरलाइंस है ,वही हाल पिछले कुछ सालों से कांग्रेस पार्टी का भी हो चुका है ,खासकर इन दिनों कांग्रेस पार्टी किस पायलट के द्वारा गाइड हो रही है, किसी के लिए समझना मुश्किल है ,पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में चल रही पायलट – गहलोत  प्रकरण ने तो कांग्रेस आलाकमान की कमजोर डिसिशन मेकिंग को और भी उजागर कर दिया !

ऐसा लग रहा है, कि गहलोत और सचिन पायलट ,दोनों सोनिया, राहुल की सुनने  को तैयार नहीं है, 18 विधायकों के साथ सचिन छुपकर बड़ी लड़ाई की प्लानिंग कर रहे हैं ! वहीं 69 साल के अशोक गहलोत, पायलट को हाशिए में ढकेल ने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं ,लड़ाई हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुकी है ! अशोक गहलोत जब 1980 में पहली बार एमपी बने थे ,तो उस वक्त सचिन पायलट 3 साल के थे, अशोक गहलोत राजनीति के बहुत पुराने खिलाड़ी हैं ,इंदिरा गांधी और राजीव गांधी दोनों के कैबिनेट में श्री अशोक गहलोत मंत्री रह चुके हैं ।


1984 से ही श्री अशोक गहलोत के नजर राजस्थान के सीएम की कुर्सी पर थी !1985 से 88 के बीच में श्री हरिदेव जोशी राजस्थान के सीएम हुआ करते थे, उस वक्त के पीएम राजीव गांधी ने सरिस्का में एक मीटिंग रखी थी ,राजीव गांधी अपनी कार् खुद चलाकर सरिस्का  पहुंच रहे थे और ट्रैफिक पुलिस ने राजीव गांधी की गाड़ी को गलत दिशा की ओर मोड़ दिया ,राजीव गांधी फिर काफी गुस्से में सरिस्का पहुंचे ,राजीव गांधी के गुस्से का शिकार हरिदेव जोशी को 1988 में पद गवा कर होना पड़ा, और शिवचरण माथुर नए सीएम बने ।

ऐसा कहा जाता है कि ट्रैफिक पुलिस द्वारा अशोक गहलोत ने ही राजीव गांधी की गाड़ी को मिस गाइड करवाया था, वैसे तो हरिदेव जोशी फिर एक बार सीएम बने, लेकिन राजस्थान कांग्रेस को कमजोर कर हरिदेव जोशी और शिवचरण माथुर के वर्चस्व खत्म करने में अशोक गहलोत की भूमिका अहम रही ! नतीजा यह हुआ ,कि भैरों सिंह शेखावत की भाजपा सरकार के बाद 1998 में श्री अशोक गहलोत राजस्थान के चीफ मिनिस्टर बने !

2018 में सचिन पायलट की मेहनत से कांग्रेस पारटी सरकार बनाने में कामयाब हो पाई, 2013 में मात्र 21 सीट में सिमट जाने वाली पार्टी में नई जान फूंकने के लिए सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था और वह कामयाब भी हुए ।लेकिन सरकार बनाने कि स्थिति में ज्योही  कांग्रेस आई ,कांग्रेस के बुजुर्गों ने एक बार फिर नौजवानों को पटखनी दे दी ! यही हाल मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भी हुआ ,सिंधिया ने तो सरकार गिरा कर अपनी औकात बता दी !

यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस पार्टी नौजवानों से उनका हक छीनकर निराश करती रही है! बेशक सचिन पायलट, सिंधिया, जितिन प्रसाद ,मिलिंद देवरा, दीपेंद्र हुड्डा सभी को विरासत में ही बनी बनाई जगह मिल गई ।

लेकिन मेहनती युवाओं को मौका देने का अवसर कांग्रेस पार्टी अक्सर खोती रही है !

यूपीए-2 में राहुल गांधी को पीएम बनाने का अच्छा मौका था ,लेकिन बुजुर्ग थिंकटैंक वहां भी चूक गए ! नतीजा यह हुआ कि सीनियर कांग्रेस लीडर कपिल सिब्बल को कहना पड़ा ,कि सारे घोड़े अस्तबल से भाग जाएंगे तब शायद कांग्रेस की नींद खुलेगी! 2019 एमपी इलेक्शन ने 52 सीटों पर सिमटी कांग्रेस के बुजुर्ग नेता ,…मानने को तैयार ही नहीं… कि वे बूढ़े हो चुके है! सचिन पायलट की लड़ाई लंबी चलने वाली है! क्योंकि ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के दिग्गज नेता आसानी से बाजी हाथ से जाने नहीं देंगे! यहां लड़ाई गहलोत बनाम पायलट है ।

हाल के बयानों से ऐसा प्रतीत हो रहा है, कि गहलोत हाईकमान को भी सुनने को तैयार नहीं ! जबकी राहुल और प्रियंका ,सचिन पायलट से बात कर बीच का रास्ता तलाशने की कोशिश कर रहे हैं! इस पूरे प्रकरण में राहुल गांधी की भूमिका  भी एक स्ट्रांग लीडर के रूप में सामने नहीं आई, बल्कि राहुल गांधी के हलिया इंटरव्यू में वे कुछ बिमार और डिपरेश भी नजर आ रहे हैं !ऐसे हालात को भुनाने में माहिर भाजपा की तो चांदी है !

लेकिन दुख इस बात का है कि लगभग 133 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी की जहाज कई पायलट उड़ा रहे हैं और सभी अपने अपने हिसाब से चलाने की कोशिश में है !अब  इतने पायलटो की एक जहाज का खुदा ही मालिक है ।

सबसे ज्यादा पड़ गई