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बंग समाज की महिलाओं ने मनाया ‘सिंदूर खेला’ उत्सव ,इसी के साथ हुई मां दुर्गा की विदाई 

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रिपोर्ट /सागर चन्द्रा

शहर की फिजाओं में बंग संस्कृति के पुरी तरह से घुले मिले होने के कारण बुधवार को शहर के विभिन्न पूजा पंडालों व दुर्गा मंदिरों में अद्भुत नजारा देखने को मिला।  लगातार नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना के बाद दशमी के दिन शहर के पूजा पंडालों में बंगाली समुदाय की महिलाओं ने जमकर सिंदूर की होली खेली। इस दौरान शादीशुदा महिलाओं ने एक दूसरे की मांग में सिंदूर लगाकर उनके सुहाग की सलामती की दुआ मांगी। साथ ही युवतियों के गालों में सिंदूर लगाकर उन्हें आशीर्वाद भी दिया।

क्या है मान्यता 

बंगाली समुदाय के लोगों का ऐसा मानना है कि मां दुर्गा साल में पांच दिनों के लिए अपने मायके आती हैं। मां के आगमन की खुशी में बंगाली समुदाय के द्वारा दुर्गा पूजा मनाया जाता है। अपने पांच दिनों के प्रवास के बाद दुर्गा कैलाश पर्वत चली जाती हैं। बंगाली समुदाय में मां दुर्गा को बेटी की मान्यता देकर उसकी पूजा की जाती है। बेटी को सुहागन विदा करने के करने के उद्येश्य से महिलाओं द्वारा पहले उनका मुंह मीठा कराया जाता है। फिर पान के पत्तों से उन्हें चूमाया जाता है और उनकी आरती उतारी जाती है।

 फिर मीठा पान खिलाकर व मांग भरकर उन्हें नम आंखों से विदा किया जाता है। चूंकि सिंदूर को हिन्दू धर्म में सुहाग की निशानी माना जाता है इसलिये ऐसा माना जाता है कि जो महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर लगाती हैं उनका सुहाग सलामत रहता है। इसलिए महिलाएं इस मौके पर एक दूसरे की मांग में सिंदूर भरकर तथा सिंदूर की होली खेलकर एक दूसरे के सुहाग की लंबी आयु की कामना करती हैं।

बंग समाज की महिलाओं ने मनाया ‘सिंदूर खेला’ उत्सव ,इसी के साथ हुई मां दुर्गा की विदाई 

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