रिपोर्ट : राजेश दुबे
बिहार में अगले आदेश तक नगर निकाय चुनाव पर रोक लगा दिया गया है । मालूम हो की उच्च न्यायालय ने स्थानीय नगर निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अति पिछड़ा वर्ग के लिए सीटों के आरक्षण को ‘‘अवैध’’ करार दिया है और कहा है कि ऐसी सीटें सामान्य श्रेणी के तौर पर माने जाने के बाद ही चुनाव कराए जाएं।गौरतलब हो की कई दिनों से मतदाताओं और उम्मीदवारों में चुनाव को लेकर उधेड़बुन की स्थिति बनी हुई थी । मंगलवार को लोगो के द्वारा अलग अलग कयास लगाए जा रहे थे।लेकिन शाम होते होते स्थिति साफ हो गई ।राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा अगले आदेश तक चुनाव पर रोक लगाए जाने के बाद उम्मीदवार और उनके समर्थक निराश दिखे।
गौरतलब हो की चुनाव आयोग ने भले ही उम्मीदवारों के चुनावी खर्च की सीमा को तय किया हो, लेकिन उम्मीदवारों द्वारा चुनाव जीतने के लिए कितनी राशि खर्च की जाती है यह किसी से छुपी हुई नही है ,एक उम्मीदवार ने नाम नही छापने के शर्त पर कहा की चुनाव की तिथि आगे बढ़ने से ‘खर्च बढ़ जायेगा”।मतदान में एक सप्ताह से भी कम समय बचे रहने से उम्मीदवार खुश थे लेकिन शाम को अधिसूचना जारी होने के बाद दर्जनों प्रत्याशी जो की मध्यम वर्ग के थे उन्हें खर्च बढ़ने का डर सताने लगा।
प्रत्याशी ने कहा की चुनाव लडने के लिए उन्होंने बजट तय किया था ,लेकिन अगर दो महीने तक चुनाव नही होता तो इन दो महीनो में मतदाताओं को अपने पक्ष में बनाए रखने के लिए अलग अलग मदो में खर्च करना पड़ेगा और यह सोच कर वो परेशान है ।वही एक मतदाता ललितेंद्र भारती ने कहा कि चुनाव स्थगित होना यह सिद्ध करता है की कि विभिन्न संवैधानिक संस्थाओं के अंतर्गत सामंजस्य की कमी रही और इस सामंजस्य की कमी का खामियाजा उम्मीदवारों को उठाना पड़ रहा है ।
वही उन्होंने कहा की मतदाताओं में भी संस्थाओं के प्रति जो सम्मान था, जो विश्वास था उसमें कमी आई मुझे लगता है समय से पहले इस सुनवाई को पूरा करके चुनाव चुनावी समर की बिसात बिछनी चाहिए थी ।उन्होंने कहा की ऐसा भी अनुभव किया जा रहा है कि भारत की आजादी के बाद शायद यह पहला अवसर होगा की नामांकन होने और मतदान को लेकर तैयारी पूरी होने के बाद चुनाव स्थगित करने की घोषणा की गई।
वही आरक्षण के मामले पर चुनाव स्थगित होने के बाद कई उम्मीदवार प्रसन्न नजर आए और हाई कोर्ट के निर्णय का खुल कर स्वागत करते दिखे ।दूसरी तरफ वैसे प्रत्याशी समर्थक या कहे तो तथाकथित किंग मेकर भी खुश दिखे जिन्होंने खुद चुनाव नही लड़कर किसी न किसी उम्मीदवार को खड़ा किया है और खर्चा तो उम्मीदवार कर रहे है लेकिन चर्चा में ये किंग मेकर बने हुए है।अब राज्य निर्वाचन आयोग का अगला कदम क्या होता है फिलहाल सभी की नजर इसी बात पर टिकी हुई हैं लेकिन चुनाव स्थगित होने से उम्मीदवारों की परेशानी तो बढ़ ही चुकी है और उम्मीदवारों के पेशानी पर पसीना साफ दिखाई दे रहा है।
1 thought on “नगर निकाय चुनाव स्थगित होने से उम्मीदवारों को सताने लगा खर्च बढ़ने का डर,तो मतदाता ने कहा संवैधानिक संस्थाओं में सामंजस्य की दिखी कमी ”
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