कमजोर नवजात शिशुओं के लिए जीवन रक्षक बनी आशा सुनीता, कंगारू मदर केयर से दिला रही नया जीवन

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• अपनी बेहतर कार्यकुशलता से आशा कार्यकर्ता सुनीता देवी ने बनायी अलग पहचान
• शत-प्रतिशत गृह भ्रमण कर शिशुओं की कर रही हैं देखभाल
• केयर इंडिया की टीम भी करती है सहयोग


छपरा : महिला सशक्तीकरण को लेकर तमाम दावे होते हैं और योजनाएं भी खूब संचालित होती हैं। मगर बिना मातृ एवं शिशु मृत्युदर में कमी लाए इसे कामयाब नहीं कहा जा सकता। हर माता-पिता को एक स्वस्थ बच्चे की कामना होती है। इसके लिए गर्भावस्था के दौरान मां का विशेष ख्याल भी रखा जाता है। बावजूद इसके स्वास्थ्य के लिहाज से कुछ न कुछ कमी रह जाती है। इस कमी को पूरा करने के लिए आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर न सिर्फ गर्भावती को बल्कि 2.5 किलोग्राम से कम वजन के बच्चों की निगरानी, फालोअप, डेंजर साइन, रेफरल आदि सेवाएं भी उपलब्ध कराती हैं। गृह भ्रमण करना आशा कार्यकर्ताओं का नैतिक कर्तव्य है। लेकिन कुछ आशा ऐसी भी हैं जो सेवा भाव से अपने कर्तव्यों का पालन कर कमजोर नवजात शिशुओं के लिए रक्षक बनकर उभर रहीं है। हम बात कर रहे हैं सारण जिले के अमनौर प्रखंड के ग्यासपुर की आशा सुनीता देवी की। जिन्होने अपनी कार्यकुशलता की बदौलत न जाने कई नवजात शिशुओं को नया जीवन देने में अपने कर्तव्यों का निवर्हन किया है। शिशु मृत्यु दर में कमी लाना किसी चुनौती से कम नहीं है। इसको स्वास्थ्य विभाग ने स्वीकार करके नवजात शिशु सप्ताह के तहत जन जागरूकता अभियान संचालित किया है। जिसके तहत लोगों को जच्चा व बच्चा की सेहत के संबंध में आसान मगर बहुत अहम टिप्स दिये जा रहे हैं। जिनकी मदद से दोनों स्वास्थ्य रह सकते हैं।






कम वजन और असमय जन्में शिशुओं को कराती हैं कंगारू मदर केयर:


आशा कार्यकर्ता सुनीता देवी कहती हैं “मेरे क्षेत्र में कई महिलाओं का प्रसव समय से पहले हो गया। समय से पहले प्रसव होना जच्चा-बच्चा दोनों के लिए खतरा होता है। इसके साथ कई बच्चे ऐसे भी जन्म लिए जिनका वजन 2.5 किलो ग्राम से काफी कम था। लेकिन कंगारू मदर केयर और नियमित स्तनपान से उन शिशुओं को नया जीवन मिला है। ग्यासपुर में एक शिशु का जब जन्म हुआ तब उसका वजन सिर्फ 1.3 किलोग्राम था। उसके परिजन काफी चिंतित थे। लेकिन नियमित रूप से गृह भ्रमण कर खुद से कंगारू मदर केयर सुनिश्चित करायी। माता और परिजनों को कंगारू मदर केयर के बारे में जानकारी स्तनपान के फायदों के बारे में जानकारी दी और खुद समय-समय पर शिशु की देखभाल करती रही। आज उस शिशु का वजन बढ़कर 2.5 किलो से अधिक हो गया है। अब वह बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ्य है।

7 से 42 दिनों तक गृह भ्रमण करती हैं सुनीता:


शिशु के जन्म के बाद आशा कार्यकर्ता छह बार विजिट करती हैं। शिशु के जन्म के पहले दिन फिर तीसरे दिन, 7वें दिन, 14 दिन, 21 दिन, 28वें दिन और 42 दिन विजिट कर रही हैं। स्तनपान के बारे में जानकारी दे रही हैं। बच्चे मां का दूध पर्याप्त ले रहा है या नहीं। छह माह अन्य आहार और पानी तक नहीं देना आदि के बारे में जानकारी दे रही हैं। वह घर के लोगों को नवजात को छूने से पहले हाथ की सफाई का तरीका बता रही हैं। जन्म के 01 घंटे के भीतर मां का गाढ़ा पीला दूध पिलाना आरंभ कर दें और 6 महीने तक स्तनपान ही कराएं। जन्म के तुरंत बाद नवजात का वजन लें और विटामिन का इंजेक्शन लगवाएं। नियमित और संपूर्ण टीकाकरण कराना जरूरी है। नवजात की नाभि सूखी व साफ रखें। उसको संक्रमण से बचाएं। मां व शिशु की व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें। कम वजन व समय से पूर्व जन्मे शिशु की विशेष देखभाल जरूरी है। स्तनपान जितनी बार चाहे दिन अथवा रात में बार बार स्तनपान कराएं। कुपोषण और संक्रमण से बचाव के लिए 6 महीने तक केवल मां का दूध पिलाएं। शहद, घुट्टी पानी इत्यादि बिल्कुल न पिलाएं।






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