नवादा :माँ के बाद पिता के श्राद्ध में भी पुत्रों ने किया सामूहिक भोज का बहिष्कार

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  • माता पिता की याद में गांव के विद्यालय व सामुदायिक भवन में पक्का तोरणद्वार निर्माण करने का बेटो ने लिया निर्णय

नवादा /रामजी प्रसाद एवं कुमार विश्वास

रूढ़िवादी व्यवस्था को त्यागने के लिए पुत्रों द्वारा पिता के श्राद्ध कर्म में सामूहिक भोज का आयोजन नहीं किया गया। शुक्रवार को शोक सभा का आयोजन कर उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित किया गया। इस व्यवस्था को त्यागने वाले मानववादी संगठन अर्जक संघ के सदस्य व सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक कैलाश प्रसाद की भी मृत्यु पत्नी के मौत के एकासी दिन बाद सताईस सितम्बर को हो गई।

इनकी भी इच्छा थी कि जिस प्रकार मैंने अपनी पत्नी के मृत्यु उपरांत भोज का आयोजन नहीं किया था। उसी प्रकार मेरे मरणोपरांत भी ब्रम्हभोज का आयोजन नहीं किया जाय। इनके पुत्रों शिक्षक किशोरी शरण वर्मा व विजय शंकर वर्मा ने उनकी अंतिम इच्छा को पूरा करते हुए,अर्जक संघ की पहल पर भोज का आयोजन नहीं किया।






इनका कहना है कि रूढ़िवादी व्यवस्था को त्याग कर ही मरणोपरांत होने वाले फिजूलखर्ची पर रोक लगाया जा सकता है। परिवार के इस साहसिक पहल में मृतक के शिक्षिका पुत्री नीलम सिन्हा व प्रतिभा सिन्हा के अलावा परिवार के अन्य सदस्यों ने भी बखूबी साथ दिया। साथ ही इस मौके पर मृतक के पुत्र ने घोषणा किया कि हमारे पिता को शिक्षा से विशेष लगाव था। इसलिये भोज में होने वाले फिजूलखर्ची से बचे राशि से गॉंव के विद्यालय व सामुदायिक भवन में पक्के का तोरणद्वार बनाने तथा सामुदायिक भवन में पंखा लगाने के लिए पचास हजार रूपया देने की घोषणा किया। जिसकी खूब प्रशंसा हो रही है।

जानकारी के लिए बता दें कि कैलाश प्रसाद मूलरूप से रोह प्रखंड के कुंजैला गॉंव के निवासी हैं। तथा लाइनपार  मिर्जापुर घर बना कर परिजनों के साथ रह रहे थे। इस मौके पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता अर्जक संघ के जिला संयोजक सुनील कुमार व संचालन अविनाश कुमार निराला ने किया। कार्यक्रम को अर्जक संघ के जगरनाथ प्रसाद, दशरथ साव, सिध्देश्वर प्रसाद, जगदीश प्रसाद केशरी, नगेन्द्र प्रसाद, वैजनाथ प्रसाद उर्फ वैजू महतो, डॉ भोला प्रसाद, मुरलीमनोहर प्रसाद, रामेश्वर प्रसाद, अजय कुशवाहा, डॉ के. नागेंद्र, डॉ सुधीर कुमार, श्याम राज वर्मा आदि ने अपने विचार व्यक्त किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में मृतक के परिजन व शुभचिंतक उपस्थित थे। श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित कई लोगों ने मृत्यु भोज नहीं करने की भी घोषणा किया।






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