बिहार:अंतराष्ट्रीय बाजार तक मखाना को पहुंचा रही है पूर्णिया की लिली,मखाना को अब मिलने लगा है अंतरराष्ट्रीय बाजार

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किशनगंज में बिहार की पहली महिला मखाना उद्यमी को किया गया सम्मानित 

किशनगंज /प्रतिनिधि

बिहार के कोसी और सीमांचल के जिलों में वर्षों से मखाना की खेती की जा रही है। 10 से 12 जिलों में करीब 2 लाख हेक्टेयर में मखाना की खेती होती है ।लेकिन सही बाजार नहीं मिलने की वजह से मखाने को आज तक वो पहचान नहीं मिली जो मिलना चाहिए ।

लेकिन अब मखाना किसानों के दिन बहुरने वाले है ।क्योंकि पूर्णिया जिले की रहने वाली बिहार कि पहली महिला उद्यमी लिली ने बिहार के मखाना को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलवाने का बीड़ा उठा लिया है।पूर्णिया जिले की रहने वाली लिली कहती है कि मखाना की खेती में बहुत पोटेंशियल है और इसकी खेती से लाखो रुपए कमा सकते है ।उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से लगाए गए लॉक डाउन में वो पूर्णिया आई थी और उसी दौरान उन्होंने मखाना की मार्केटिंग करने का प्लान बनाया ।






उन्होंने कहा 2019 -2020 में जहा उनका टर्नओवर 1 करोड़ रुपए का था वो 2020-21 में पंद्रह करोड़ पहुंच गया है ।उन्होंने कहा कि जब सरकार -किसान और व्यापारी एक मंच पर आएंगे तो मखाना को सही तरह से बाजार में उतारा जा सकेगा ।

किशनगंज पहुंचने पर लिली मखाना कि खेती करने वाले किसानों से भी मिली और उन्हें खेती के लिए प्रोत्साहित किया ।साथ ही किसानों को मखाना की खेती से होने वाले लाभ की जानकारी दी।उन्होंने किसानों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि आप खेती कीजिए उसे कैसे बेचना है वो में देख लूंगी। लिली ने कहा कि मखाना को आगे बढ़ाने के लिए बिहार को भी और डेवलप करने की जरूरत है ।

उन्होंने कहा कि अभी बिहार का बाजार अंतर राष्ट्रीय तो क्या राष्ट्रीय स्तर का भी नहीं है। यहां बाहर की कंपनियां नहीं आती है।लेकिन अब उनका प्रयास है कि इस खेती से जुड़े लोगों को एक मंच पर लाकर इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की, उन्होंने कहा की सरकार को हमारा सुझाव है कि मखाना की खेती को सही तरीके से अगर प्रमोट करेंगे और बाहर के व्यापारियों को भी लाने की कोशिश करे तो डिमांड को पूरा किया जा सकेगा साथ ही किसान भी लाभान्वित होंगे ।बता दे कि कृषि विभाग द्वारा मखाना की खेती को लेकर आयोजित कार्यशाला को वो संबोधित करने पहुंची थी जहा उन्हें उनके सार्थक प्रयास एवं योगदान के लिए सम्मानित भी किया गया ।






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