कटिहार /रितेश रंजन
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के रणभेरी बज चुकी है। अखाड़ा सजाने वाला हैं। राजनीतिक पहलवान लंगोट बांधकर अखाड़े में कूदने को तैयार हैं। अखाड़े में नंबर वन कौन रहता है और राजनीतिक अखाड़े के इर्द गिर्द खड़ी पब्लिक जो सब जानती है। और राजनीतिक आका का हिसाब और एन वक्त पर ईवीएम के माध्यम से देती है ।
इस बार जनता किसके सिर बांधेगी अपने भरोसे का ताज यह तो आने वाले वक्त के कोख में छिपा है। चुनावी मुनादी पड़ने के बाद कटिहार के फलका प्रखंड क्षेत्र में भी राजनीतिक तापमान गरमाने लगा है। जब जब चुनाव होता है लोगों में एक उम्मीदों का चिराग जलता है, लोगों का मानना है कि सरकार ने अगर बहुतेरे विकास के कार्य किए हैं, तो उम्मीदों के दामन में कई नाकामियों के फूल भी खिले हैं।
कोढ़ा विधानसभा क्षेत्र के फलका प्रखंड में आज भी कई बुनियादी समस्याएं पहाड़ की तरह खड़े हैं। मुद्दतों बाद भी फलका के मोरसंडा कमला घाट में पूल नहीं बन पाया। मोरसंडा के कमला घाट नदी पर आक्रोशित ग्रामीणों ने पूल नहीं तो वोट नहीं को लेकर जमकर सरकार के विरुद्ध नारे लगाए।

मोरसंडा के कमला घाट नदी पर पुल नहीं रहने के कारण आक्रोशित ग्रामीणों ने कहा कि यहां के लोग चचरी पूल व नाव के सहारे आवागमन करते हैं। इन जगहों पर चचरी पूल व नाव के सहारे आवागमन करते हैं। जो निश्चय ही जोखिम भरा है। इन जगहों पर चचरी पूल व नाव के कारण कई जिंदगियां मौत के आगोश में समा चुकी हैं। ग्रामीणों के अनुसार कई बार विधायक व सांसद से पूल निर्माण की गुहार लगाई गई। मगर नतीजा सिफर ही रहा।
मोरसंडा के कमला घाट नदी पर दर्जनों लोगों ने पूल नहीं तो वोट नहीं का जमकर नारा लगाए तथा आक्रोशित लोगों ने कहा कि इस बार विधानसभा चुनाव में वे लोग मतदान का बहिष्कार करेंगे।

आक्रोशित लोगों का कहना था कि जब तक कमला घाट नदी पर पुल का निर्माण नहीं हो जाता है तब तक वे लोग मतदान नहीं करेंगे। ग्रामीणों का यह भी कहना था कि कमला घाट पर पुल नहीं रहने के कारण उन लोगों को आवागमन करने में काफी परेशानी होता है। आगे बताया कि मोरसंडा के अधिकांश किसान का खेत नदी के उस पार पड़ता है।
जिस कारण लोगों को नदी पार कर जाना होता है। पानी घट जाने के बाद ग्रामीणों के द्वारा जन सहयोग के माध्यम से कमला घाट नदी पर चचरी पुल का निर्माण किया जाता है। मगर बरंडी नदी में उफान आने के बाद नदी पर बना चचरी पुल ध्वस्त हो जाता है। फिर यहां के लोगों को आवागमन के लिए नाव ही एक सहारा होता है।