दाखिल खारिज के मामलों में अब कर्मियों तथा पदाधिकारियों की नही चलेगी मनमानी,पढ़े पूरी खबर

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किशनगंज /राज कुमार

जमीन से जुड़े दाखिल खारिज के मामलों में अब कर्मियों तथा पदाधिकारियों की मनमानी नहीं चलेगी । एक मार्च से पूरे प्रदेश में फीफो ( फर्स्ट इन फर्स्ट आउट) यानी पहले आओ पहले पाओ की व्यवस्था लागू होने जा रही है । इसे लेकर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव द्वारा विभागीय स्तर पर पत्र जारी किया गया है। जिसमें अब अधिकारियों तथा कर्मियों को पहले आओ, पहले पाओ के तर्ज पर दाखिल खारिज के मामलों का निष्पादन करना होगा तो साथ ही साथ बिना स्पष्ट कारणों के दाखिल खारिज के मामलों को अस्वीकृत नहीं किया जा सकेगा।

बिना किसी ठोस कारण के आवेदन अस्वीकृत होने पर ऐसा करने वाले संबंधित कर्मी अथवा पदाधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। बताया जाता है कि अंचल स्तर पर दाखिल खारिज के मामलों में आम लोगों को नित्य इस तरह की समस्याओं से रूबरू होना पड़ता था। फलस्वरुप विभागीय स्तर पर दाखिल खारिज आवेदनों का ससमय निष्पादन नहीं होने तथा बिना किसी उचित कारणों के आवेदन अस्वीकृत करने के मामलों को लेकर इसकी समीक्षा के बाद इस तरह के निर्णय लिए गए ।

अब तक दाखिल खारिज के किसी भी मामले में कर्मी तथा पदाधिकारी अपने तरीके से निष्पादन करते थे या यूं कहें कोई रसुखदार व्यक्ति द्वारा दाखिल खारिज को लेकर काफी बाद में भी आवेदन देने पर ऐसे लोगों का दाखिल खारिज आमलोगों के वनस्पित पहले हो जाया करता था ।

आम लोगों के स्तर से ऐसी शिकायतें खुब सुनने को मिला करता था । इसी के मद्देनजर विभागीय स्तर पर अब दाखिल खारिज के मामलों में पहले आओ, पहले पाओ की व्यवस्था एक मार्च से लागू होने जा रही है। अब तक यह व्यवस्था एलपीसी (भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र )के मामलों में थी और एलपीसी के मामलों में यह प्रभावी ढंग से लागू होने के बाद ही बिहार सरकार राजस्व विभाग द्वारा दाखिल खारिज के मामलों में भी इसे लागू कर दिया गया है। गौरतलब है कि दाखिल खारिज के मामलों में बिना आपत्ति के 35 दिन के अंदर इसका निष्पादन विभागीय स्तर पर कर देना है जबकि आपत्ति वाले मामलों में अधिकतम 75 दिन की समय सीमा निर्धारित है।

दाखिल खारिज एक बार अस्वीकृत के बाद दूसरी बार नहीं कर सकेंगे स्वीकृत

दाखिल खारिज के मामलों में अभी तक अंचल स्तर पर आवेदन अस्वीकृत करने के बाद दूसरी दफा कौन पुछे तीसरी ,चौथी दफा भी इसे स्वीकृत कर लिया जाता था । लेकिन अब यदि एक बार दाखिल खारिज के आवेदन सीओ स्तर से अस्वीकृत कर दिए गए तो दुसरी दफा सीओ स्वीकृत नहीं कर पाएंगे। और आवेदक को अब इसे स्वीकृत कराने के लिए अपील वाद दायर कर डीसीएलआर का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। हालांकि यह व्यवस्था बिहार दाखिल खारिज अधिनियम 2011 के तहत पहले से भी लागू था लेकिन अब विभागीय स्तर पर इसपर काफी सख्ती दिखाई गई है।

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