किशनगंज /प्रतिनिधि
भारत जैसे विशाल देश में एक बड़ी आबादी के लिए स्वस्थ और गतिशील भविष्य तथा एक ऐसे विकसित समाज का सृजन बेहद महत्वपूर्ण है जो समूचे विश्व के साथ तालमेल स्थापित कर सके। ऐसे स्वस्थ और विकासशील समाज के स्वप्न को सभी स्तरों पर सिलसिलेवार प्रयासों और पहलों के जरिए प्राप्त किया जा सकता है।सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि बाल स्वास्थ्य देखभाल की शुरूआती पहचान और उपचार इसके लिए सबसे अधिक व्यावहारिक पहल अथवा समाधान हो सकते है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम एक नई पहल है जिसका उद्देश्य 0 से 18 वर्ष के सभी बच्चों में चार प्रकार की परेशानियों की जांच करना है। इन परेशानियों में जन्म के समय किसी प्रकार के विकार, बीमारी, कमी और विकलांगता सहित विकास में रूकावट की जांच शामिल है।इसी क्रम में जिले के कोचाधामन प्रखंड के पटकोई विद्यालय में आरबीएसके दल के द्वारा बच्चो का स्क्रिनिग किया गया ।

बच्चों की 38 तरह की बीमारी की स्क्रीनिंग की गई
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ मुनाजिम ने बताया कि विद्यालय में 35 बालक एवं 37 बालिका
कुल 72 बच्चो की 38 तरह की बीमारी की स्क्रीनिंग की गई और चिकित्सा सुविधा भी दी गई । एक बालक एवं एक बालिका समस्या से ग्रसित पाए गया। जिससे बेहतर उपचार के लिए रेफर किया गया।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्यक्रम की सफलता के लिए प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र व स्कूलों में पहुंचती है। टीम में शामिल आयुष चिकित्सक बच्चों की स्क्रीनिंग करते हैं। ऐसे में जब सर्दी-खांसी व बुखार जैसी सामान्य बीमारी होगी, तब तुरंत बच्चों को दवा दी दिया जाती है, लेकिन बीमारी गंभीर होगी तब उसे आवश्यक जांच एवं समुचित इलाज के लिए निकटतम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भेजा जाता है। टीम में शामिल एएनएम, बच्चों का वजन, उनकी ऊंचाई (हाइट), सिर की परिधि, बांह की मोटाई की नापतौल करती है।फार्मासिस्ट रजिस्टर में स्क्रीनिंग किए गए बच्चों से संबंधित बातों को ऑन द स्पॉट क्रमवार अंकित करते है।
गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चों को निःशुल्क इलाज मुहैया कराता है आरबीएसके :
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) जिला समन्यवक डॉ. ब्रह्मदेव शर्मा ने बताया कि गंभीर रोग से ग्रसित बच्चों के सफल इलाज के लिए आरबीएसके टीम कार्यरत है। ऐसे बच्चे जिसके दिल में छेद है उनकी जांच के साथ ऑपरेशन का सभी खर्च सरकार द्वारा आरबीएसके के तहत मुहैया कराया जाता है। इसके अलावा जिन बच्चों के होंठ कटे हुए हैं, तालु में छेद (सुराग) है, जिसके पैर टेढ़ा है ऐसे बच्चों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा शत प्रतिशत इलाज मुहैया कराई जाती है। इसके लिए आरबीएसके द्वारा बच्चों को सरकारी खर्चे पर पटना भेजा जाता है और जांच व आवश्यकता अनुसार ऑपरेशन करवाया जाता है। इसके अलावा हृदय रोग से पीड़ित बच्चों को बेहतर इलाज के लिए अहमदाबाद भी भेजा जाता है जहां विशेष चिकित्सकों द्वारा बच्चे का निःशुल्क इलाज करवाया जाता है।
