अररिया /अरुण कुमार
फ़ारबिसगंज सिरूआ पर्व के मौके पर गुरूवार को एतिहासिक सुल्तान पोखर में जहां बड़ी संख्या में महिलाओं ने स्नान कर मन्नतें मांगी, वहीं मुरादें पूरी होने वाली महिलाओं ने हिन्दू और मुस्लिम का प्रतीक सुल्तानी माई के मंदिर में पूजा अर्चना कर चढ़ावा चढ़ाया। जानकार बताते हैं कि कि शाह सुल्तान के वारिश कतई मीर द्वारा 1857-58 में ब्रिटिश हुकूमत के समय पूरे सुल्तानपुर स्टेट को सर एलेक्जेण्डर हेनरी फोरबेस से कानपुर के सेठ जुगीलाल कमलापति द्वारा खरीदे जाने से पूर्व एक गरीब कन्या के रूप लावण्य से मोहित सुल्तान द्वारा शन्र्तानुकूल हिन्दू-मुस्लिम के प्रतीक के रूप में खुदवाया गया पोखर आज फारबिसगंज का ऐतिहासिक धरोहर है।
सुल्तान पोखर व सुल्तानी माई का मंदिर हिन्दू-मुस्लिम का सौहार्द का एक ऐसा प्रतीक माना जाता है जहां एक ही स्थान पर एक साथ दोनों समुदाय के लोग पूजा और इबादत करते हैं।
इस पोखर में स्नान कर मंदिर में आकर जो भी मन्नतें-मुरादें मांगी जाय, वह अवश्य पूर्ण होती है। खासकर नि:संतान औरतें मुख्य रूप से औलाद की मन्नतें मांगने आती है। मुगलकाल की यह ऐतिहासिक धरोहर आज भी साम्प्रदायिक सौहार्द और अमन का पैगाम देती है। खासकर सिरूआ के मौके पर महिलाओं की काफ़ी भीड़ जुटती है।
इस मौके पर माँ भगवती वैष्णो देवी मंदिर सुल्तान पोखर पुजा कमिटी के सदस्य करण कुमार पप्पू, तुलालंद यादव, अरुण कुमार ,संतोष भगत,कुणालो वर्मा,विनोद अग्रवाल, भुप्पू उर्फ सालेंद्र रजक,दीपु ठाकुर, सोनू राय,मोहन पूर्वे, मनीष वर्मा, हेमंत शिखवाल, सुभाष रजक, तरुण रजक।बंटी सिंह, फिटकिरी उफ प्रकाश रजक,नारायण कामत, मोहन मिश्रा, अमितेश रजक,मोनू मंडल, राज कुमार शर्मा, दीपक मंडल, विनय रजक, अरविंद शर्मा, दीपेन्द्र रजक, सन्नी चौधरी, राजेश कुमार शर्मा, प्रकाश रजक, संजय चौधरी,अमन, आशुतोष, राहुल,रोहित, श्याम,भूपेन्द्र पाण्डे,मनिष,अमित,रोहित राय ने बताया कि सिरूआ के मौके पर सुल्तान पोखर व मंदिर परिसर मे मेले का भव्य दृश्य लगता है।
वही सुल्तान पोखर मालिक स्वर्गीय गणेश लाल रजक के पोते वह पत्रकार अरुण कुमार ने बताया पोखर को चारों और से अतिक्रमण कर रखें लोगों के द्वारा जिससे पोखर धीरे धीरे घेरा जा रहा है इसको लेकर हाई कोट में कैंपलेन भी दायर किया गया है कोट इस मामले में कार्यवाही का भरोसा भी दिया है।