फ्यूचर ऑफ टूरिज्म एंड एनवायरनमेंट – कुमार राहुल

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डेस्क /न्यूज़ लेमनचूस

जैसे ही कोरोनावायरस ने पूरी दुनिया में पैर पसारना शुरू किया, इसका सबसे बुरा असर लोगों की जिंदगी और पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ना शुरू हुआ। एक झटके में कोरोनावायरस ने सैकडो,हजारों परिवारों को अपनों से हमेशा के लिए अलग कर दिया ।करोड़ों लोग नौकरी गंवा बैठे ।

अब लोगों को 2 जून की रोटी के लिए जूझना पड़ रहा है। स्वयंसेवी संस्थानों एवं सरकार को आगे आना पड़ा ।अधिकतर देश की सरकारों ने कोरोनावायरस निपटने के लिए कंप्लीट लॉक डाउन का सहारा लिया, सारी फैक्ट्रीज बंद कर दी गई, सारी ऑफिसेस बद कर दी गई ।वाहनों की गतिविधि मे पूर्णता रोक लगा दी गई ।चारों और शांति, घरों में दुबके बैठे लोग, ऐसे में जिस पर्यावरण पर हमारी जिंदगी निहित है ,वह प्रभावित ना हो ऐसा हो नहीं सकता ।

वैज्ञानिकों ने सबसे पहले चीन में नोटिस किया, कि ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में काफी कमी आई है ,और ऐसा ही सारी दुनिया में नोटिस किया गया। स्थिति ऐसी भी आ गई, कि लॉकडाउन के वक्त गुजरात ,मध्य प्रदेश और अन्य कई राज्यों की सूनी सड़कों पर जंगली शेर ,हाथी सांप ,भालू मटर गश्ती करते नजर आने लगे ।

फैक्ट्रीयो से निकलने वाले धुंए से कहीं अधिक घातक एरोप्लेन से निकलने वाले धुएं हैं, जो कि 2018 में 9000 लाख टन था, और 2050 तक 27000 लाख टन हो जाने की संभावना है। लेकिन लॉकडाउन के कारण एरोप्लेन से निकलने वाले mono _oxide मे 2020 के शुरुआती 4 महीने में ही करीब 50% की गिरावट दर्ज की गई ।

सभी देशों की एयर क्वालिटी में जबरदस्त सुधार आया । देश की सबसे वायु प्रदूषित शहर दिल्ली की हवा सांस लेने लायक हो गई ।गंगा नदी, जिसे नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत सैकडो ,हजारों करोड़ खर्च कर भी साफ नहीं किया जा सका, उसे कोरोनावायरस के इंपैक्ट ने एक झटके में स्वच्छ बना दिया । बनारस के घाटों में मछलियां दिखने लगी । गंगा पानी का ऑक्सीजन कंटेंट भी बढ़ गया। प्रकृति के अप्राकृतिक दोहन ने पर्यावरण को दूषित कर दिया था ।

आज पर्यावरण पिछले कई दशकों की तुलना में काफी शुद्ध है। नतीजा स्वच्छ हवाएं, घनघोर बादल और अतिवृष्टि। बारिश भी थम जाएगी, कोरोनावायरस का प्रकोप भी कम हो जाएगा ,लेकिन हम मानव एक बार फिर काम में निकल पड़ेंगे, फिर वही धुए बरसाती गाड़ियां, मीलो जाम में फंसी गाड़ियां, नदियों में गिरते कारखानों के मलबे ,कोरोना ने लाखों जिंदगियों को लील कर पर्यावरण को ठीक किया ,और हम रोज घुट-घुट कर जिंदगी जीते हुए अर्थव्यवस्था को ठीक करने में जुटे हैं ।

हम यह भूल जाते हैं कि सूरज है तो धरती है ।धरती है, तो प्रकृति है ।प्रकृति है, तो मनुष्य हैं ।मनुष्य है ,तो विकास है ।बीच की एक कड़ी प्रकृति और पर्यावरण की कडी ज्योहि टूटी, बाकी कड़ियां खुद-ब-खुद लुप्त हो जाएगी ।

बड़ा सवाल यह है, कि हम कब संभालेंगे या यूं कह लीजिए,हम कब सुधरेंगे ।पर्यावरण और प्रकृति ने लंबे अरसे बाद एक मौका दिया था। शुद्ध हवाए’ ,शुद्ध पानी ,बिना धुएं की परत की चमकती आकाश। इन सब चीजों से देश में पर्यटन के विकास की काफी संभावनाएं हैं ।

लेकिन कोरोनावायरस है ,कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा।न हीं अभी तक कोई vaccine या, दवा ही आ सकी है ।नतीजा यह है कि वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म council ने दुनिया भर में 5 करोड़ जॉब कटौती की चेतावनी दी है। जिसने केवल एशिया में 30 करोड लोगों की जॉब जाने की संभावना है टूरिज्म इंडस्ट्री ग्लोबल जीडीपी का 10% योगदान देता है ,अब ऐसे मे जबकि देश में ट्रेन लिमिटेड संख्या में चल रही हो, प्लेनस की स्थिति ऐसी है, कि दिल्ली टू मुंबई to and fro लास्ट मोमेंट में मात्र ₹5000 में उपलब्ध है।

लोग कोरोनावायरस के डर घर से बाहर जाने से डर रहे हैं ,तो फिर तीर्थ या प्राकृतिक सौंदर्य निहारने ने कश्मीर कैसे जाएंगे। यूरोप से अमेरिका हर महीने 8.5 लाख लोग घूमने आते हैं । और यूएस की इकोनॉमी में प्रति महीना 3.4 बिलियन डॉलर का कंट्रीब्यूशन करते हैं। जो कि अब zero हो चुका है। डब्ल्यूटीटीसी के अनुसार टूरिज्म से इंडिया मे 16.91 लाख करोड का कारोबार होता है जो कि जीडीपी का 9.2 percent के बराबर होता हैं।

2018 में लगभग सवा चार करोड़ लोगों को इस इंडस्ट्री में काम मिलता था । कोरोनावायरस के फैलने से सारी घरेलू travel एंड टूरिज्म एक्टिविटीज एका एक रुक गई है ।अधिकतर देशों ने रिस्ट्रिक्शन लगा रखा है ।नतीजा यह है ,कि भारत के टूरिज्म सेक्टर को 85 बिलीयन रुपए का नुकसान हुआ है। ऐसा अनुमान है, कि कोरोनावायरस का असर थर्ड और फोर्थ क्वार्टर में स्थिति में कुछ सुधार आ सकता है। लेकिन टूरिज्म इंडस्ट्री 2021 में आंशिक सुधार की संभावना को देख रहा है और इस नुकसान की भरपाई में काफी लंबा वक्त लग सकता है।

टूरिज्म सेक्टर लोगों की सुरक्षा ,संरक्षा और मनोवैज्ञानिक प्रभाव से चलता है ।और कोरोनावायरस का का प्रभाव खत्म होने के बाद टूरिज्म इंडस्ट्री को लोगों में यह विश्वास पैदा करना है । अब कोरोना आपकी जिंदगी को प्रभावित नहीं करने जा रहा है तभी टूरिज्म इंडस्ट्री का रिवाइवल संभव दिख रहा है।

2 thoughts on “फ्यूचर ऑफ टूरिज्म एंड एनवायरनमेंट – कुमार राहुल”

  1. Very well written and explanation about impact and effect on environment due to Corona virus pandemic also well explained.

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