किशनगंज /रणविजय
आजादी के सात दशक गुजर जाने के बाद भी अगर एक माँ की गोद इस वजह से सुनी हो जाती है कि वह अपने बीमार बच्चे को महज एक पुल के अभाव में समय पर ईलाज के लिए अस्पताल नही पहुंचा पाती है और बच्चे की तड़पकर दम निकल जाती है तो यह निश्चित ही विकास का दंभ भरने वाली सुशासन की सरकार के लिए बेहद ही शर्मनाक घटना है।
जी हां, एक ऐसा ही दिल दहला देने वाली घटना ठाकुरगंज प्रखंड से आई है जहाँ प्रखंड के खारुदह पंचायत में महानंदा नदी के चर्चित भेरभेरी घाट में घटित हुई है। बताया जाता कि जिरनगच्छ पंचायत के घेराबाड़ी निवासी मो0 एहसान का दो वर्षीय पुत्र मो0 इलाही जिसे उसकी माँ शर्मिनजा खातून रविवार के दिन अपनी ननद एवम बच्चे के बड़े चाचा के साथ अपनी गोद मे लेकर भेरभेरी घाट से नाव पर सवार होकर किशनगंज इलाज के लिए ले जा रही थी कि देर से नाव खुकने के कारण वक्त पर इलाज नही मिलने से बच्चे की मौत हो गई है। इस सम्बंध में बच्चे के चाचा मो इकरामुल ने बताया कि देर से नाव खुलने एवम इलाज में देरी के कारण बच्चे की असामयिक मौत रास्ते में ही हो गई।
उन्होंने बताया कि बच्चे को सांस लेने में तकलीफ सहित कई अन्य परेशानियां थी,जिसके इलाज के लिए वे बच्चे को लेकर किशनगंज जा रहे थे। उधर नाव पर ही मूर्छित अवस्था में बच्चे को गोद में लेकर बैठी मां की करुण चीत्कार से वहाँ मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गई।माँ ने बच्चे को जीवित होने की प्रत्याशा में किशनगंज शहर स्थित एमजीएम कॉलेज अस्पताल भी लेकर गई जहां चिकित्सकों ने बच्चे को पूर्व से ही मृत बताया।
यानि बच्चा नाव पर ही दम तोड़ दिया था। वहीं स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि बच्चे को समय पर इलाज मुहैया हो जाता तो बच्चे की जान बच सकती थी।इधर इस हृदय विदारक घटना से मर्माहत भेरभेरी पुल निर्माण संघर्ष कमिटी ने उक्त घटना पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा है कि इस नदी पर एक लंबे अरसे से पुल की मांग की जा रही है,लेकिन अबतक इसपर राज्य सरकार द्वारा कोई ठोस कार्यात्मक पहल नही हो पाई है,जो काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। पुल निर्माण संघर्ष कमेटी ने सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि आजादी के 70 वर्षों बाद भी यहाँ की माओं की गोद अगर एक पुल के वजह से सुनी हो जाती है तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है। साथ ही सवालिया लहजे में यह भी पूछा है कि आखिर कबतक इलाके के लोग इसी तरह पुल के अभाव में दम तोड़ते रहेंगे?