निधि चौधरी
मैं आज इस महफ़िल से,
जय हिन्द की नारी कहती हूँ।
है गर्व मुझे कि मैं तो,
भारत देश मे रहती हूँ।
मैं आज इस महफ़िल से,
जय हिन्द की नारी कहती हूँ। १
जिस धरा पे तुमने जन्म लिया,
उस धरा को नित्य नमन करो।
ये तन मन हो जाए देश के नाम,
अब ऐसा कुछ तो जतन करो।।
हाँ भारत माँ की बेटी हूँ,
मैं इसी गर्व में रहती हूँ।
मैं आज इस महफ़िल से
जय हिन्द की ….. २
मेरे देश की नारी की कथा सुनो,
इक झांसी की रानी लक्ष्मीबाई।
छोड़ के महलों के वैभव को,
अंग्रेजों को धूल चटाई।
मैदां में अगर मैं डट जाऊँ,
दुश्मन पे कहर मैं ढाती हूँ।
मैं आज इस महफ़िल से,
जय हिन्द की ….. ३
जहाँ देश प्रेम पुत्र मोह से बढ कर हो,
यहाँ ऐसी माँ थी पन्ना धाय।
दिल थाम के तुम सुनते रहो,
हाँ यहीं मिलेंगी ऐसी माएँ।
और लाज बचाने जोहर में,
मैं पद्मिनियों सी जलती हूँ।
मैं आज इस महफ़िल से,
जय हिन्द की …. ४
मैं प्रतिशोध में द्रोपदी,
मग़र प्रेम में मीरा हूँ।
पति को यम से लाने वाली,
मैं सावित्री सी दारा हूँ।
ये सब भारत की नारी थी,
ये सोच के मैं इतराती हूँ।
और आज इस महफ़िल से,
जय हिन्द की नारी कहती हूँ।
लेखिका निधि चौधरी बिहार के किशनगंज जिले में सरकारी शिक्षिका है ।आप राष्ट्रपति पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित की जा चुकी है