Tikait Exposed !

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राजेश दुबे


तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली के टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर बीते दस महीनों से जारी आंदोलन का हल नहीं निकला है। संयुक्त किसान मोर्चा अभी भी अपनी मांगो पर अड़ा हुआ है । इन दस महीनों में सरकार के साथ 11 बैठके हुई ,लेकिन नतीजा सिफर रहा ।क्योंकि टिकैत कृषि कानूनों को ही रद्द करने की मांग पर अड़े रहे। जबकि केंद्र सरकार का कहना है कि जिस कानून को काला कहा जा रहा है उसमे काला क्या है राकेश टिकैत बताए, हम उसमे संशोधन करने को तैयार है। लेकिन राकेश टिकैत दस महीनों में यह बता पाने में असफल रहे है कि नए कृषि कानूनों में काला क्या है ?


वहीं सोमवार को किसान मोर्चा के द्वारा भारत बंद का आव्हान किया गया था ।किसान मोर्चा द्वारा आहूत बंद को तमाम विपक्षी पार्टियों यथा कांग्रेस ,आरजेडी,शिव सेना , समाजवादी पार्टी सहित अन्य दलों का समर्थन प्राप्त था ,बावजूद इसके बंद असफल रहा ।बंद के असफल होने का ठीकरा कथित किसान नेता राकेश टिकैत ने कांग्रेस पर ही फोड़ दिया और कहा कि विपक्ष कमजोर है ,इसलिए सरकार उनकी बातो को नहीं सुन रही है, साथ ही कहा कि हमने कोई सीलबंद आंदोलन नहीं किया और लोगों को आने-जाने की छूट भी दी, ताकि वे आते-जाते रहें ।






टिकैत के इसी बात से समझा जा सकता है कि भारत बंद कितना सफल रहा। दूसरी तरफ़ शाम होते होते एक और मामला उजागर हुआ ,जिसने सभी को चौंका दिया ,दरअसल एक निजी समाचार चैनल जी न्यूज के द्वारा राकेश टिकैत के भाई नरेश टिकैत का स्टिंग ऑपरेशन किया गया, जिसमें नरेश टिकैत  कैमरा पर कहते हुए सुने जा रहे है , कि मिल में गन्ना कि कीमत 325 रुपए है ,लेकिन मै आप को अच्छी क्वालिटी का गन्ना 225 रुपए से 275 रुपए तक दिलवा दूंगा ।यही नहीं चैनल के मुताबिक मुजफ्फर नगर में किए गए इस स्टिंग ऑपरेशन में नरेश टिकैत गुड की फैक्ट्री खोलने के लिए दस बीघा अपनी जमीन को लीज पर देने के लिए भी तैयार हो गया ।

जबकि इन्हीं नरेश टिकैत और राकेश टिकैत ने किसानों को नए कृषि कानूनों के तहत जमीन लीज पर दिए जाने के नाम पर भड़काते हुए आपने भी कई बार सुना होगा, कि नए कानून लागू होने के बाद उनकी जमीन पर अडानी अंबानी का कब्जा हो जाएगा ।लेकिन मामला जब अपने फायदे से जुड़ा हुआ इन्होंने देखा तो अपनी जमीन को लीज पर देने में इन्हे कोई परेशानी नहीं है। 

जी न्यूज पर ऑपरेशन टिकैत के प्रसारण के बाद सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में यूजर्स #TikaitExposed ट्रेंड करवा कर राकेश टिकैत पर निशाना साध रहे है। हालाकि कथित किसान आंदोलन के आरंभ में ही इनकी मनसा उजागर हो गई थी, जब खालिस्तानी संगठन के द्वारा फंडिंग की बात सामने आई थी,और ग्रेटा थनबर्ग,मिया खलीफा एवं अन्य विदेशियों द्वारा इस आंदोलन के समर्थन में सोशल मीडिया पर अपील किया गया था।मालूम हो कि इस कथित किसान आंदोलन की वजह से देश की अर्थ व्यवस्था को अभी तक अरबों रुपए का नुकसान हो चुका है ।

हालाकि केंद्र सरकार इस आंदोलन को सख्ती से क्यों नहीं समाप्त करवा रही है, इसपर भी सवाल उठना लाजमी है ।आंदोलन की वजह से आए दिन हजारों लोग प्रभावित हो रहे है ।देश की जनता राकेश टिकैत के उद्देश्य से वाकिफ हो चुकी है और चंद मुट्ठी भर लोग ही आज राकेश टिकैत के साथ जुड़े हुए है ।केंद्र सरकार को अब सख्ती के साथ इन स्वार्थी तत्वों से निपटना चाहिए ,ताकि किसानों के नाम पर अपनी रोटी सेकने की कोशिश में जुटे लोगों को एक सबक मिले और देश के असली अन्न दाताओ को नए कृषि कानूनों का लाभ मिल सके जिसके वो असली हकदार है। 






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