कजरी
पिया मुंबई त बनल देहरादून बा
आइल मानसून बा न
कोरोना के बढ़ते प्रकोप, काम बंद होने के कारण बेरोजगारी की मार, खान-पान की कमी और भुखमरी के कारण , अपने माता-पिता से मिलने के लिए मुंबई से प्रियतम अपने गांव चले गए। मानसून आने से पूर्व ही निसर्ग तूफान आ गया। पूरी मुंबई में झमाझम बारिश में डूब गई। बेचारी नायिका मुंबई में अकेली है।जून के पहले सप्ताह में ही मुंबई देहरादून बन गई है। धीरे-धीरे लाकडाउन खुलने लगा है। नायिका ने गांव गए प्रियतम को फोन किया—-
पिया मुंबई त बनल देहरादून बा,
आइल मानसून बा न।
जब से लगल अहइ जून ,
मेघ भइल अफलातून,
दिल हिलोर मारे, काम भइल दून बा
आइल मानसून बा न ।
पिया मुंबई त बनल……………
मेघ गरजि के डरावे,
काम सेजिया पे सतावे,
जाने काहे बिगड़ि गइल हमरा फून बा
आइल मानसून बा न ।
पिया मुंबई त बनल………..
बरसे झम्मा-झम्म पानी,
रैन भइल बा सुहानी,
दिल पे चलइ नाहीं, केहू के कनून बा
आइल मानसून बा न ।
पिया मुंबई त बनल……………
जिया मारे ला हिलोर,
हमरा टूटे पोर-पोर,
तोहके बीरापुर भी, लागे ला रंगून बा,
आइल मानसून बा न ।
पिया मुंबई त बनल…………..
केकरा से कही कहानी,
कस में बाटइ ना जवानी,
जियरा खउले मोर जैसे फारच्यून बा
आइल मानसून बा न ।
पिया मुंबई त………………
मंगू मामा मुंह फुलाए ,
तार पतरी के चढ़ाए,
खोली चुवत देखि, सूखि जात खून बा
आइल मानसून बा न ।
पिया मुंबई त……………..
तू मुलुक से लउटि आवा,
फिर से रिक्शवा चलावा,
ई बदरिया दिल पर चढ़उले जुनून बा ,
आइल मानसून बा न।
पिया मुंबई त बनल देहरादून बा,
आइल मानसून बा न।
सुरेश मिश्र,प्रख्यात कवि है ।