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विश्व तंबाकू निषेध दिवस: तंबाकू सेवन से नहीं रखें कोई वास्ता , कोरोना को हराने का यही है रास्ता

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• ‘‘कमिट टू क्यूट’’ इस वर्ष का थीम
• देश भर में प्रतिवर्ष तम्बाकू सेवन से लगभग 13 लाख होती है मौतें
• बिहार में 25.9% लोग तम्बाकू उत्पादों का करते हैं इस्तेमाल
• तम्बाकू सेवन छोड़ने के 1 साल के भीतर हृदय रोग होने की संभावना हो जाती है आधी

किशनगंज /प्रतिनिधि


तम्बाकू सेवन के प्रति आम लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रत्येक साल 31 मई को विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष ‘‘कमिट टू क्यूट’’ तम्बाकू निषेध दिवस का थीम रखा गया है। कोरोना संकट काल में किसी भी प्रकार के तम्बाकू उत्पादों का इस्तेमाल लोगों के लिए स्वास्थ्य चुनौतियों को बढ़ा सकता है। इसकी पुष्टि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार तंबाकू सेवन से विश्व भर में प्रति वर्ष 80 लाख लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ती है। वही देश भर में लगभग 13 लाख लोगों की मौत तंबाकू उत्पाद के सेवन करने से होती है। तंबाकू सर्वेक्षण गेट्स 2017 के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में 25.9% लोग तंबाकू का सेवन करते हैं।तम्बाकू सेवन कई तरह के श्वसन संबंधी रोगों का कारण होता है एवं इससे श्वसन संबंधी रोग कई गुना बढ़ भी जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बात का खुलासा भी किया है कि तम्बाकू उत्पादों के सेवन करने वाले लोगों में सामान्य लोगों की तुलना में कोविड-19 संक्रमण के बाद गंभीर होने की संभावना अधिक होती है।






पुरुषों में 50% एवं महिलाओं में 20% कैंसर होने की होती है संभावना:

राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अनुसार तम्बाकू उत्पादों के इस्तेमाल करने पर 50% पुरुषों एवं 20% महिलाओं में कैंसर होने की संभावना होती है। इससे 40% टीबी एवं अन्य रोगों के होने की भी आशंका रहती है। तम्बाकू सेवन के कारण मधुमेह, फेफड़ों की गंभीर बीमारी, स्ट्रोक, अंधापन, नपुसंकता, टीबी एवं कैंसर आदि रोग हो सकते हैं। कोरोना के इस दौर में यह वायरस तेजी से एक से दूसरे लोगों में फ़ैल रहा है। खैनी, पान या गुटखा जैसे चबाने वाले तम्बाकू उत्पाद का सेवन कर इधर-उधर थूकने से भी कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अनुसार भारत में देशभर में 15 साल से ऊपर 26.7 करोड़ लोग तम्बाकू उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं एवं प्रतिदिन तम्बाकू सेवन से लगभग 3500 मौतें होती है।

सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन ने बताया जिले में टोबैको कंट्रोल प्रोग्राम 2012 – 13 से चल रहा है।उन्होंने बताया राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से 2015 में पूरे जिले में सर्वे कराया गया था । सर्वे कराने के उपरांत वर्ष 2016 में मधुबनी जिले को तंबाकू मुक्त घोषित कर दिया गया है।उन्होंने बताया कि बिहार में दरभंगा प्रथम प्रमंडल है जिसे तंबाकू मुक्त घोषित किया गया है।






तम्बाकू सेवन छोड़ने से स्वास्थ्य में अप्रत्याशित सुधार:
राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम ने तम्बाकू छोड़ने के फायदों के विषय में जानकारी दी है। जिसके अनुसार:
• तम्बाकू सेवन छोड़ने के 8 घंटे बाद ही शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा सामान्य हो जाती है
• 24 घन्टे के भीतर हार्ट अटैक की संभावना कम जाती है
• 72 घंटों में फेफड़े के फंक्शन में सुधार आ जाता है
• 1 से 9 महीने के अंदर खाँसी एवं सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या में सुधार हो जाता है
• 12 महीनों के भीतर ह्रदय रोग की संभावना तम्बाकू इस्तेमाल करने वालों की तुलना में आधी हो जाती है
• 5 सालों में स्ट्रोक रिस्क में कमी आ जाती है
• 15 सालों तक तम्बाकू सेवन छोड़ने से ह्रदय रोग होने की संभावना वैसे व्यक्ति की तरह हो जाती है जिसने कभी तम्बाकू सेवन नहीं किया हो ।

ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे-2 के अनुसार:

• बिहार में 25.9% लोग किसी न किसी प्रकार के तम्बाकू उत्पाद का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें 20.8 प्रतिशत लोग स्मोकलेस तम्बाकू का इस्तेमाल करते हैं( जैसे खैनी, गुटखा एवं पान मसाला)
• बिहार में 15 से 17 साल की आयु के बीच 24% लोग तम्बाकू इस्तेमाल शुरू कर देते हैं
• देश में 28.6% लोग किसी न किसी प्रकार के तम्बाकू उत्पाद का इस्तेमाल करते हैं
• देश में 42.4% पुरुष एवं 14.2% महिलाएं तम्बाकू उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं
• देश में 12.2% लोग 15 साल की आयु से पूर्व ही तम्बाकू उत्पादों का इस्तेमाल शुरू कर देते हैं






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