पेंटिंग के जरिए प्रज्ञा बना रही है 18 मीटर लंबा बिहार का मानचित्र, ऊंची उड़ान भरने की है तमन्ना
मेंहदी का उपयोग कर बना रही है पेंटिंग,पर्यावरण संरक्षण का दे रही है संदेश
अररिया/अरुण कुमार
कला और संस्कृति के प्रति जुनून रखने वाली प्रज्ञा अद्भुत प्रतिभा का परिचय देते हुए 18 मीटर लंबा बिहार का मानचित्र पेंटिंग के जरिए बना रही है। यह अनोखी रचना बिहार राज्य की सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक धरोहर और प्राकृतिक सुंदरता को जीवंत रूप में प्रस्तुत करती है।साथ ही मानचित्र में अररिया सहित 38 जिलों के ऐतिहासिक स्थलों को भी शामिल किया गया है।
अररिया जिले के कुर्साकाटा प्रखंड क्षेत्र के कुर्साकाटा बाजार निवासी विद्यानंद ठाकुर (विदुर) और किरण देवी की बेटी प्रज्ञा ठाकुर 18 मीटर लंबा बिहार का मानचित्र बनाकर इतिहास रचना चाहती हैं. छात्रा प्रज्ञा ठाकुर द्वारा बनाए जा रहे इस मानचित्र में सूबे के 38 जिले के सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाया जा रहा है ।सबसे खास बात यह है कि उनके द्वारा पेंटिंग बनाने के लिए मेंहदी का उपयोग किया जा रहा है ।जिसके जरिए वो पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दे रही है।
प्रज्ञा ने बताया कि इस मानचित्र को बनाने में उन्हें कई महीने लग जायेगे, जिसमें बिहार के प्रसिद्ध स्थलों, लोक कलाओं, त्यौहारों और ऐतिहासिक घटनाओं को चित्रित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि राज्य के 38 जिलों के खान पान,संस्कृति,ऐतिहासिक स्थलों को मानचित्र में दर्शाया जा रह रहा है।
यह पेंटिंग न सिर्फ एक कलाकृति है, बल्कि यह बिहार के गौरवशाली अतीत और समृद्ध परंपराओं का दस्तावेज भी है।प्रज्ञा ने अपने मानचित्र में अररिया जिले के आंचलिक साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु के साथ जिले की बहुचर्चित काली मंदिर, सुन्दरनाथ, जामा मस्जिद को दर्शाने के साथ ही आसपास के जिलों के भी सांस्कृतिक धरोहर को स्थान दिया है।
स्नातक पास छात्रा प्रज्ञा ने बताया कि उनको पेंटिंग करने का शौक उनके भाई भारतेंदु जो कि सिविल इंजीनियर की पढ़ाई कर रहा है उनसे प्रेरणा मिली है।उन्होंने कहा कि बीते दिनों जहानाबाद केंद्रीय विद्यालय में पदस्थापित शिक्षिका के द्वारा जिस तरह से बिहार के विषय में अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया उससे वो काफी आहट हुई।
उन्होंने कहा कि हमारा बिहार खुद में काफी गौरवशाली इतिहास समेटे हुए है जिसकी जानकारी सभी को होनी चाहिए।प्रज्ञा इससे पहले कई अनमोल कलाकृति बना चुकी है जिसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया है ।कलाप्रेमी उनके इस प्रयास की सराहना करते नहीं थक रहे है। एक तरफ केंद्रीय विद्यालय की एक शिक्षिका बिहार की संस्कृति को बदनाम करने में जुटी हुई है वही दूसरी तरफ बिहार की बेटी प्रज्ञा की यह उपलब्धि कला जगत में बिहार का नाम रोशन करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रही है।