हम जिसे किसी काबिल नहीं समझते वो भी नई इबारत लिख देते है

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मधुबाला मौर्या


बात सन 2009/10 की होगी उतना याद नहीं, मेरी ज़िन्दगी इतने संघर्षो से भरी रही की कुछ यादें धूमिल होती गयी, पर लोग वो सब नहीं देखते वो तो बस रिजल्ट देखते है, जैसे आज भी पिताजी के पास जाने पर दस लोगों के बीच पूछेंगे मधु बोलो lieutenant की स्पेलिंग क्या होगी, उनके लिये तो मै आज भी उनकी वही एम.ए मे पढ़ने वाली बिटिया ही दिखती हूं ।

खैर छोड़िये कहानी पर आते है तो बात उन दिनों की है जब मै बनारस मे एक पीजीटी इंग्लिश प्रवक्ता के रूप मे कार्य कर रही थी, एक दिन गेटकीपर आकर बोलता है, मैडम आपसे कोई स्टूडेंट मिलने आया है, मै क्लास ओवर होने के बाद गयी तो मेरा पिछले सत्र के दो तीन विद्यार्थी मिले प्रणाम किये और बोले मैडम मेरा मेडिकल में हो गया ।

लेकिन जब उस विद्यार्थी ने बोला की मैडम मेरा भी बी.एच.यू मे किसी विषय (गोपनीयता बनाये रखना चाहिए ) मे हो गया तो मुझे विश्वास नहीं हुआ मैंने कहाँ क्या ?


मुझे सच मे विश्वास नहीं हुआ की उसका बी.एच.यू मे नामांकन हो गया मैंने कहा फलाना तुम तो मुश्किल से पास हुए बारहवीं मे अचानक आकर बोल रहे हो कि बी.एच.यू में हुआ वो भी इस विषय में ।

मै आज भी उसके अकादमी परफॉरमेंस को याद करती हूं तो विश्वास करना मुश्किल होता है ।
आप सबको जानकार ख़ुशी होगी आज साहब एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी मे बकायदे असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर विराजमान है और आशीर्वाद हेतु ईमेल किए है ।

हम जिसे किसी काबिल नहीं समझते वो भी नई इबारत लिख देते है