हमें जवाब चाहिये मुख्यमंत्री जी …!

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  • नफस-नफस कदम-कदम, हर एक फिक्र दम बदम, घिरे हैं हम सवाल से, हमें जवाब चाहिये…!

प्रवीण गोविन्द / सीनियर जर्नलिस्ट

सुपौल : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शनिवार को कोसी की बलुआही धरती पर पहुंचे। कोसी नदी पर बने पूर्वी तटबंध का जायजा लिया, अधिकारियों से बाढ़ सुरक्षा के मद्देनजर विस्तृत जानकारी ली, सुरक्षात्मक कार्यों पर संतुष्टि जताई, आवश्यक निर्देश दिए आदि-आदि। और हेलीकॉप्टर से चले गए। ” नफस-नफस कदम-कदम, हर एक फिक्र दम बदम, घिरे हैं हम सवाल से, हमें जवाब चाहिये…!” पूर्व की स्थिति के अवलोकन के बाद तो हम यही कहेंगे कि राजनेता वायदे बिसार देने के लिए करते हैं…!

यह ठीक बात नहीं है…

चलिए थोड़ा पीछे लौटते हैं। 28 फरवरी, 2009 को
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुसहा टूटने के बाद सुपौल जिले के उच्च विद्यालय, छातापुर में महती सभा को सम्बोधित करते हुए था कि
आगे से ऐसी नौबत नहीं आए इसकी हम तैयारी करेंगे और सभी गांव में सबसे ऊंचा आश्रय स्थल सामुदायिक भवन बनवाएंगे ताकि विपत्ति के समय लोगों को आश्रय मिल सके।

लेकिन हुआ क्या?

आज की तारीख में भी सभी गांवों में आश्रय स्थल का निर्माण नहीं हो सका है। स्थिति देखिए; जिले का एक मात्र नदी थाना बाढ़ आश्रय स्थल में चल रहा है। छत से पानी टपकता है, प्लास्टर जगह-जगह झड़े हुए हैं, शौचालय की स्थिति ठीक नहीं है सो अलग। कुछ और पीछे लौटते हैं। 15 अगस्त, 2007 को पटना के गांधी मैदान में बाढ़ का स्थायी निदान करने की मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी। क्या हुआ ; सबके सामने है।

झूठ बोलते हैं नीतीश कुमार

हम तो कहेंगे ही कि झूठ बोलते हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। इस झूठ के पीछे चाहे जो भी कारण हो, लेकिन सीएम अपने वादे पर खड़े नहीं उतर सके। हम तो कहेंगे ही कि जनाब की कथनी और करनी में जमीं-आसमां का अंतर है। प्रत्यक्ष के आगे प्रमाण की क्या जरूरत। हम तो कहेंगे ही कि नीतीश जी के द्वारा जो वादे किए गए वे केवल वादे ही रहे। सभी जानते हैं कि कोसी हमेशा कोसी के अभियंताओं, संवेदक और राजनेताओं के लिये कामधेनु बना रहा।

कुसहा त्रासदी के दोषियों के ऊपर क्यों नहीं हुई कार्रवाई?

एक अहम बात

18 अगस्त . 2008 को कुसहा टूटा था । 12 वर्ष होने को हैं। लेकिन; जो प्रमुख सवाल हैं उसका जवाब आज भी अनुत्तरित हैं । सवाल ; इसके लिए कौन जवाबदेह था ? कहां भूल हुई ? आखिर बांध को बचाने के लिए विभाग के पास मात्र सात लाख रूपये ही क्यों थे ? सवाल – दर – सवाल : गंभीर प्रश्र है – 5 अगस्त को ही कुसहा के समीप बने स्पर पर कटाव लगा था जो कि 18 अगस्त को टूट गया ।

बीच के अंतराल में कहां थे अभियंता , कहां था विभाग ? कहां था जिला प्रशासन और कहां थी सरकार ? कायदे से बोल्डर व बी . ए . वायर से बने केरटस का पर्याप्त भंडार ऐसे स्थलों पर रहना चाहिए था जो नहीं था ।

आखिर क्यों ? सवाल यह भी – सात लाख क्यूसेक पर नहीं टूटा , पौने दो लाख पर कैसे ? कुल मिलाकर जो भी हो लेकिन आज तक ना ही बाढ़ की समस्या का स्थायी निदान हुआ और ना ही कुसहा त्रासदी के दोषियों के ऊपर कार्रवाई। बड़ा सवाल है; आखिर अभी तक क्यों नहीं हुआ बाढ़ की समस्या का स्थायी निदान? सवाल यह भी; कुसहा त्रासदी के दोषियों के ऊपर क्यों नहीं हुई कार्रवाई? ठीक है मुख्यमंत्री जी, आपका बिहार है। जहां आइए, जहां जाइए, लेकिन बाढ़ की समस्या का स्थायी समाधान कीजिए। भरोसा रखिए जनता ही नहीं ऊपर वाले भी आपके ऊपर रहमत की बारिश करेंगे।


कुल मिलाकर *मिथ्या छुपी मुखौटे भीतर,
दुनिया एक नुमाइश मौला।

हमें जवाब चाहिये मुख्यमंत्री जी …!