किशनगंज /इरफान
गुरुवार को चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय पटना के बाल अधिकार केंद्र द्वारा एक दिवसीय परिचर्चा का आयोजन 12वीं वाहनी सशस्त्र सीमा बल किशनगंज के सभागार भवन में एसएसबी के कमांडेंट मुन्ना सिंह की अध्यक्षता में की किया गया।
आयोजित कार्यक्रम में बाल अधिकार व बाल व्यापार पर विस्तृत चर्चा हुई। आयोजित परिचर्चा के दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कार्यक्रम समन्वयक चंदन कुमार ने बताया कि 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को बच्चा कहते हैं, बच्चों को बहुत से अधिकार प्राप्त हुआ है यह अधिकार उन्हें संयुक्त राष्ट्रीय बाल अधिकार समझौते के द्वारा मिला हैं। जिसे सीआरसी के नाम से भी जाना जाता है।
यह बच्चों के अधिकारों पर महत्वपूर्ण और कानूनी रूप से माननीय पहला विश्वव्यापी मानव अधिकार समझौता है जो 20 नवंबर 1989 को बाल अधिकार समझौते का प्रारूप संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित हुआ। और इसे 1990 में लागू किया गया। भारत ने भी 1993 में अंगीकृत किया। सभी बच्चों के लिए सभी अधिकार बिना किसी भेदभाव के अनुच्छेद एक समझौते के अनुसार 18 साल से कम आयु का हर व्यक्ति बच्चा है, अनुच्छेद दो के अनुसार सभी पर एक समान रूप से लागू है चाहे वह किसी जाति धर्म 1 योग्यता या पृष्ठभूमि के हो, अनुच्छेद 3 के अनुसार बच्चों के लिए काम करने वाली सभी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं बच्चों के सर्वोत्तम हितों के लिए काम करेगी, अनुच्छेद छह के अनुसार सभी बच्चे को जीवन जीने का अधिकार है। बच्चों की जीवन की रक्षा तथा विकास को सुनिश्चित करना सरकार का काम होगा। अनुच्छेद 12 के अनुसार कोई ऐसा फैसला रहा हो जिसका प्रभाव बच्चों पर पड़ सकता है तो बच्चों को स्वतंत्र रूप से अपने पास कहने का अधिकार है बच्चों को यह भी अधिकार है कि उनकी बातों को गंभीरता से लिया जाए निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनके प्रवक्ता के अनुसार जोड़ा जाए अनुच्छेद 4 के अनुसार सरकार को बच्चों की सभी अधिकार दिलवाने की जरूरत है। इसी तरह बच्चों के अधिकारों पर कुल 54 बिंदुओं पर मोहर लगी तो वही केंद्र समन्वयक डॉ अमन कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार बाल तस्करी के मामले बिहार पहले स्थान पर है बिहार से हर दिन एक बच्चे की तस्करी होती है देश भर में यह प्रक्रिया तीसरे स्थान पर है उन्होंने बताया बताया कि बाल तस्करी उनके अधिकारों से वंचित करता है उन्हें मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं से दूर रखा जाता है, और बच्चे छोटे नादान होने के कारण इन्हें हर कार्य में लगाया जा सकता है। इसलिए बच्चों की तस्करी आसानी से की जाती है। इसे रोकने के लिए एसएसबी की भूमिका अहम होती है। इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चाइल्डलाइन के जिला समन्वयक व बिहान संस्था के कानूनी सलाहकार पंकज कुमार झा ने बताया कि कानूनी रूप से बच्चे दो प्रकार के होते हैं एक वह बच्चे होते हैं जिसे देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता होती है। वैसे बच्चों को बाल कल्याण समिति किशनगंज के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। और दूसरा वैसे बच्चे जो विधि विवादित हो जिसे किशोर न्याय परिषद के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। इस दौरान बिहान संस्था के प्रकाश कुमार ने बताया कि सभी माता-पिता का दायित्व है कि अपने बच्चों का ख्याल रखें। उन पर नजर रखें और अनजान व्यक्ति के साथ कही न भेजें और न ही किसी प्रलोभन में बच्चों को कहीं जाने दें। मानव तस्करी एक संगठित अपराध है।
तो वही तटवासी समाज न्यास के जिला समन्वयक बिपिन बिहारी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि बाल तस्करी को रोकने के लिए निचले स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम करने कि आवश्यकता है। अंत मे कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए एसएसबी के कमांडेंट मुन्ना सिंह ने कहा कि बाल सुरक्षा संगठन और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) मानव तस्करी रोकने के लिए मिलकर काम करेंगे। दोनों संगठन एक दूसरे से समन्वय बनाकर इस अपराध से निपटेंगे। इसमें तैनात कर्मचारियों को विशेषज्ञ प्रशिक्षकों से प्रशिक्षण भी दिलाया जाएगा।
इस कार्यक्रम में एसएसबी के कमांडेंट मुन्ना सिंह के अलावा सभी एसएसबी के पदाधिकारी व जवान सहित कार्यक्रम समन्वयक चंदन कुमार व केंद्रीय समन्वयक अमन कुमार, चाइल्डलाइन के जिला समन्वयक सह बिहान संस्था के कानूनी सलाहकार पंकज कुमार झा, प्रकाश कुमार, मुजाहिद आलम, तटवासी समाज न्यास के जिला समन्वयक बिपिन बिहारी आदि मौजूद थे।