गर इंतज़ार तेरा
बने मेहरबान
ता उम्र बैठूँ में
इंतज़ार में तेरी
तेरी चाल हवा ना बताये
खुशबु छीने फूलों की
उमड़ जाये सारी खुशियां
गर तेरा आना
निश्चित हो जाये
आरजू तेरी तमन्ना मेरी
दिल की रूश्वाईयाँ
मिटेंगी धीरे धीरे
मेहरबानी मेहरूबा की
होगी धीरे धीरे
बहेगी हवा धीरे धीरे
मुहब्बत का रंग लेगी
धीरे धीरे
गर तेरा इन्तज़ाए बने मेहरबान
रचना : निरंजन गौतम दत्त
साभार :फेसबुक
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