सुनील कुमार, पिपरा, (सुपौल)।
पिपरा (सुपौल):दो दिवसीय संतमत सत्संग समारोह में स्वामी परमानंद जी महाराज ने कहा कि रूप अनेक है मगर इष्ट एक है, जिस प्रकार तकिया में लगे कभर के अनेकों रंग हैं पर उसके अंदर रूई एक है। ठीक उसी प्रकार मानव एक है विचार अनेक हैं। कहा कि अज्ञानता सारे दुखों का जड़ है। उसी से सारे काम, क्रोध, लोभ व वासना उपजते हैं , जो दुख के कारण बन जाते हैं। पथरा उत्तर में दो दिवसीय संतमत सत्संग समारोह में महर्षि मेही आश्रम कुप्पा घाट से आए महर्षि मेही परमहंस जी महाराज के शिष्य पूज्यपाद स्वामी परमानंद जी महाराज ने पिपरा प्रखंड के पथरा उत्तर वार्ड नंबर 07 में आयोजित दो दिवसीय सत्संग सत्संग समापन के दौरान कही।

उन्होंने कहा कि इसलिए संतो ने कहा है कि अंधकार में जीव हमेशा अज्ञानी बना रहेगा। चाहे आप जितनी भी डिग्री हासिल कर लें। आप दुःख में ही रहेंगे। बाबा ने संबोधित करते हुए कहा यदि आप अंधकार में है तो दुख होगा ही, इससे बच नहीं सकते हैं। बाबा ने कहा कि मनुष्य पढ़ लिखकर भले ही विद्वान हो जाए, लेकिन पढ़ लिखकर ज्ञानी नहीं हो सकता है। यदि कोई पढ़ लिखकर ज्ञानी होता, तो कबीर दास ज्ञानी नहीं होते। कबीर साहब पढ़े लिखे कुछ नहीं थे। लेकिन इतने बड़े ज्ञानी थे कि उनकी एक एक वाणी आज विद्वानों द्वारा रिसर्च किया जा रहा है। विद्या वही है जो दुखों से निजात दिलाता है। जिससे जीवन ने सदा की शांति आ जाती है, वही ज्ञान है। इस अवसर पर पंचायत प्रतिनिधियों सहित गणमान्य लोग उपस्थित रहे।





























