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स्वास्थ्य:हल्के व लक्षणविहीन कोविड से संक्रमित बच्चों को घर पर हीं करें देखभाल

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• केंद्रीय स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय ने दी जानकारी
• लक्षणविहीन बच्चों को दवा नहीं देने की सिफारिश
• एक हीं व्यक्ति को करना होगा बच्चों की देखभाल


छपरा /प्रतिनिधि

जिले में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर अब थम चुकी है। ऐसे में आशंका जतायी जा रही है कि कोरोना की तीसरी लहर भी आ सकती है। तीसरी लहर में सबसे ज्यादा बच्चों के प्रभावित होने की आशंका है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग इससे निपटने को लेकर पूरी तरह से तैयार है। इसको लेकर स्वास्थ्य संस्थानों में संसाधनों व सुविधाओं को सुदृढ किया जा रहा है। इसी कड़ी में केंद्रीय स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय ने बच्चों की देखभाल को लेकर आवश्यक जानकारी दी है। सोशल मीडिया व मंत्रालय के ऑफिशियल वेबसाइट पर पोस्टर जारी गयी है। जिसमें यह कहा गया है कि कोविड19 के हल्के और लक्षणविहीन संक्रमित बच्चों का इलाज घर पर ही किया जा सकता है। मंत्रालय ने कहा कि लक्षणविहीन बच्चों को दवा देने की सिफारिश नहीं की जाती है, लेकिन उन्हें घर पर हीं अलग रखकर उनकी निगरानी करनी चाहिए। बच्चों की देखभाल किसी एक हीं व्यक्ति को करनी चाहिए और देखभाल करने वाले को भी आइसोलेशन में रहना चाहिए।







इन स्थितियों में अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत :


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी है कि हल्के संक्रमण बुखार या शरीर में दर्द जैसे मामलों में लक्षण संबंधी उपचार देना चाहिए। कोविड 19 से संक्रमित बच्चे यदि पहले किसी अन्य बीमारी से पीड़ित हैं तो उनको अस्पताल में भर्ती कराने की आवश्यकता पड़ सकती है। बच्चों का इलाज चिकित्सीय देखरेख में करना चाहिए। माता पिता टेलीमेडिसिन की सहायता ले सकते हैं।

बच्चों में एमआईएस-सी शरीर के कई हिस्सों को कर सकता है प्रभावित:


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी पोस्टर के माध्यम से कहा है कि बच्चों में पाया जाने वाला मल्टीसिस्टम इन्फ्लैमेअरी सिंड्रोम (एमआईएस-सी) एक अति-प्रतिरक्षात्मक रोग है। जो हृदय, यकृत, गुर्दे आदि जैसे शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकता है। इसके लक्षण तेज बुखार, चकत्ते, थकान, सांस फूलना, दस्त, आंखों की लाली, स्वाद या गंघ न आना, गंभीर पेट दर्द है।


बच्चे और टीकाकरण:


बच्चों को कोरोना से सुरक्षा प्रदान करने के लिए कुछ टीकों की एंटीबॉडी प्रतिक्रिया का पता लगाने के लिए परीक्षण शुरू कर दिया गया है। बच्चों में लक्षणों से बीमारी विकसित होने की संभावना कम होती है, यही कारण है कि बच्चों में गंभीर रोग कम हीं पाए जाते हैं।






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