देश: सरकारी राशि के दुरुपयोग कर विज्ञापन देने के मामले में घिरी दिल्ली सरकार

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देश /डेस्क

उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त सरकारी विज्ञापनों में सामग्री के नियमन से संबंधित समिति (सीसीआरजीए) ने दिल्ली सरकार के एक विज्ञापन पर दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) सरकार को एक नोटिस जारी किया है, जो 16 जुलाई, 2020 को समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ था। समिति ने दिल्ली सरकार के विज्ञापन पर सोशल मीडिया में उठाए गए कुछ बिंदुओं पर स्वतः संज्ञान लिया है ।

जिसमें मुंबई के समाचार पत्रों में दिल्ली सरकार द्वारा जारी विज्ञापनों के प्रकाशन की आवश्यकता पर सवाल खड़े किए गए थे और संकेत किया गया था कि इस विज्ञापन का उद्देश्य सिर्फ राजनीतक संदेश देना है। एक पृष्ठ का यह विज्ञापन शिक्षा विभाग एवं सूचना एवं प्रचार निदेशालय, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार द्वारा प्रकाशित किया गया था।

गौरतलब है कि माननीय उच्चतम न्यायालय के 13 मई, 2015 के दिशानिर्देशों के तहत भारत सरकार ने 6 अप्रैल, 2016 को तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया था, जिसमें सभी मीडिया प्लेटफॉर्म्स में सरकार द्वारा वित्तपोषित विज्ञापनों की सामग्री के नियमन को देखने के लिए ऐसे लोग शामिल किए गए थे जो “स्पष्ट रूप से तटस्थ और निष्पक्ष हों और अपने संबंधित क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया हो।” समिति को उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन पर आम जनता से मिली शिकायतों के निस्तारण और उपयुक्त सिफारिशें करने का अधिकार है।

समिति उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों के किसी प्रकार के उल्लंघन का स्वतः संज्ञान ले सकती है और सुधारात्मक कदमों का भी सुझाव दे सकती है।


वर्तमान में भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त श्री ओम प्रकाश रावत सीसीआरजीए की अध्यक्षता कर रहे हैं और एशियन फेडरेशन ऑफ एडवर्टाइजमेंट एसोसिएशंस से जुड़े और आईएए के पूर्व अध्यक्ष श्री रमेश नारायण तथा प्रसार भारती बोर्ड के सदस्य डॉ. अशोक कुमार टंडन समिति में सदस्य हैं।

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