आचार्य महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी संगीत श्री व सहयोगी तीन साध्वियों के सानिध्य में तेरापंथ समाज आध्यात्मिक गतिविधियों में जुटा हुआ है।
किशनगंज /प्रतिनिधि
पुरबपाली स्थित तेरापंथ भवन में जैन साध्वियों का चातुर्मास चल रहा है। आचार्य महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी संगीत श्री व सहयोगी तीन साध्वियों के सानिध्य में तेरापंथ समाज आध्यात्मिक गतिविधियों में जुटा हुआ है। इन चार माह के दौरान निराहार रहकर तपस्या करने की परंपरा तेरापंथ समाज में है।साध्वियों के सानिध्य में निराहार रहकर तपस्या की जा रही है।अबतक दर्जनों निराहार तपस्याएं हो चुकी है और यह क्रम लगातार चल रहा है। इसी क्रम में युवक विकास सेठिया द्वारा 15 दिनों तक निराहार रहकर तपस्या करने के लिए व महक देवी सेठिया द्वारा 9 दिनों तक निराहार रहकर तपस्या करने के लिए तप अभिनंदन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

महिलामण्डल के द्वारा मंगलगीत गाकर कार्यक्रम की शुरूआत की गई। इसके बाद साध्वी संगीत श्री ने तपस्यार्थियो के तप की अनुमोदना करते हुए कहा कि इस भोगवादी संस्कृति में तपस्या वही कर सकता है जो अपनी जिह्वा को संयमित रख सकता है। उन्होंने कहा कि तपस्या जीवन का आधार है। तप के द्वारा रोग-शोक समाप्त होते हैं व काया कंचन बन जाती है। दोनो तपस्वियों ने बड़ी हिम्मत का परिचय देते हुए तपरूपी समरांगण में छलांग लगाई है और अपनी आत्मा को उज्ज्वल कर लिया है। हम तपस्वी के तप की अनुमोदना करते हैं,तपस्वियों आचार्य प्रवर की शक्ति से तपस्या करके कुल पर कलश चढाया है।
वहीं साध्वी शांतिप्रभा जी, सभाध्यक्ष विमल दफ्तरी, महासभा संरक्षक डॉ राजकरण दफ्तरी, महिलामण्डल अध्यक्ष सन्तोष देवी दुगड़, विजयकरन दफ्तरी, अमित दफ्तरी, सन्दीप बाफना, विजय सिंह सेठिया, सुमन देवी सेठिया सहित सेठिया परिवार ने अपने वक्तव्यों व गीतिका के माध्यम से दोनों तपस्वियों के तप की अनुमोदना की। इसके बाद तेरापंथ सभा, महिलामण्डल, तेरापंथ युवक परिषद, अणुव्रत समिति की ओर से दोनों तपस्वियों को साहित्य व अभिनंदन पत्र समर्पित कर उनका तपोभिनंदन किया गया।कार्यक्रम का संचालन कमल छोरिया द्वारा किया गया।
