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किशनगंज :जब तक धार में पानी, इस रोमांचकारी पुल को पार करना है मजबूरी

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चिल्हनियां पंचायत के सुहिया वार्ड नौ में इस तरह बांस के सहारे धार पार कर अपने घर पहुंचते हैं ग्रामीण

किशनगंज /विजय कुमार साह

टेढ़ागाछ ये किसी नदी को बांस पर चलकर पार करने की रोमांचकारी यात्रा नहीं बल्कि क्षेत्र के तीन हजार लोगों को अपने गांव से बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता है। जिसे ग्रामीणों ने खुद आपसी सहयोग से तैयार किया है। जब तक धार में पानी रहेगा गांव के लोग इसी बांस के सहारे गांव से बाहर निकल पाएंगे और अपनी जरुरत की चीजें लेकर वापस गांव आ सकेंगे। जिले के सबसे सुदूरवर्ती व पिछड़े प्रखंड टेढ़ागाछ की यह तस्वीर चिल्हनिया पंचायत के सुहिया वार्ड संख्या नौ की है। विकास और सुशासन के मायने यहां के ग्रामीणों को नहीं मालूम है।






ग्रामीण फिरोज आलम, मुख्तार आलम, बादल आलम, नईम आलम, कैय्युम, अफरोज, मोमोद्दीन आदि ने बताया कि गांव के ठीक बाहर गौरिया नदी का पुराना धार है। बरसात के दिनों में धार में पानी भर जाता है। गांव के बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। शासन-प्रशासन सहित स्थानीय जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाने का भी नतीजा आज तक कुछ नहीं निकल पाया। इस साल भी गांव के रास्ते का ना हाल बदला और न ही शक्ल-ओ सूरत। धार में फिर पानी भर गया तो ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से चंदा इकट्ठा कर रास्ता बनाने की सोची। लगभग 15 हजार रुपए चंदा इकट्ठा कर बांस खरीदी गई और फिर इस तरह का पुल बनाया गया। कुछ ग्रामीणों ने श्रमदान भी दिया।

ये स्थिति जब तक बरसात रहेगी तब तक रहेगी।
ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव से आगे एक गांव है खर्रा, यहीं अपने रिश्तेदारों या जान पहचान वाले ग्रामीणों के यहां बाइक व साइकिल तब तक रखेंगे जब तक कि धार फिर सूख नहीं जाता और हम वाहन लेकर अपने गांव तक नहीं पहुंच जाते। खर्रा गांव से प्रधानमंत्री सड़क है जो प्रखंड मुख्यालय तक पहुंचती है।






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