30+ आयु वर्ग की स्क्रीनिंग के लिए आशाओं को प्रशिक्षण, 13वें बैच का समापन
गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) की पहचान और रोकथाम के लिए जिले में आशा कार्यकर्ताओं को लगातार प्रशिक्षण दिया जा रहा है। शुक्रवार को 13वें बैच का सफल समापन हुआ। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य 30 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के सभी व्यक्तियों की स्क्रीनिंग कर गंभीर बीमारियों की पहचान और रोकथाम सुनिश्चित करना है। कार्यक्रम का नेतृत्व सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार और गैर-संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी ने किया।जिलाधिकारी विशाल राज ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “गांव-गांव तक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना हमारी प्राथमिकता है। आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका महत्वपूर्ण है, और यह प्रशिक्षण उनकी कार्यक्षमता को बढ़ाने में सहायक होगा। सभी घरों तक पहुंचकर लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाना हमारा मुख्य उद्देश्य है।”
हर परिवार की स्क्रीनिंग का लक्ष्य
नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रीवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ कैंसर, डायबिटीज, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज और स्ट्रोक्स (एनपीसीडीसीएस) के तहत जिले में पॉपुलेशन बेस्ड मास स्क्रीनिंग की जा रही है। आशा कार्यकर्ता अपने पोषण क्षेत्र में प्रत्येक परिवार का फैमिली फोल्डर तैयार करेंगी और 30 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के सभी व्यक्तियों का सी-बैक फॉर्म भरेंगी। इसके माध्यम से मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, कैंसर और लकवा जैसे गंभीर रोगों की समय रहते पहचान की जाएगी।
डिजिटल प्रक्रिया से मिलेगा लाभ
प्रशिक्षण के दौरान आशाओं को एनसीडी एप्लीकेशन का उपयोग करना भी सिखाया गया। आशा कार्यकर्ता द्वारा भरे गए सी-बैक फॉर्म को एएनएम एनसीडी एप पर अपलोड करेंगी। सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने कहा, “डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए न केवल मरीजों की जानकारी को आसानी से अपडेट किया जाएगा, बल्कि उनका समय पर इलाज भी सुनिश्चित होगा।”
गंभीर मरीजों के इलाज में मदद
प्रशिक्षण के दौरान आशा कार्यकर्ताओं को यह निर्देश दिया गया कि वे अपने कार्यक्षेत्र में गंभीर बीमारियों के लक्षणों की पहचान करें और मरीजों को समय पर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर तक पहुंचाकर उनका इलाज शुरू कराएं।
13वें बैच का सफल समापन
गैर-संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी ने बताया कि अब तक 13 बैचों में जिले की आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। उन्होंने कहा, “आशा कार्यकर्ता स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ हैं। यह प्रशिक्षण उन्हें सशक्त करेगा, जिससे वे गांवों में बीमारियों की रोकथाम और इलाज में बेहतर भूमिका निभा सकें।”
जिलाधिकारी की अपील: स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाएं
जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा, “हमें इस बात का ध्यान रखना है कि कोई भी व्यक्ति स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित न रहे। माइक्रो प्लानिंग के जरिए हर घर तक पहुंच बनाना और समुदाय को जागरूक करना आवश्यक है। आशा कार्यकर्ताओं का यह प्रशिक्षण लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाएगा।”
गैर-संचारी रोग: समय पर पहचान जरूरी
गैर-संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी ने बताया कि गैर-संचारी रोग जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मुंह का कैंसर, स्तन कैंसर और बच्चेदानी के मुंह का कैंसर जीवनशैली और खान-पान की आदतों से जुड़े होते हैं। इनकी समय पर पहचान और रोकथाम से गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है।
स्वास्थ्य जागरूकता की दिशा में एक मजबूत कदम यह प्रशिक्षण कार्यक्रम स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ बनाने और ग्रामीण समुदाय को बीमारियों के प्रति जागरूक करने में मील का पत्थर साबित होगा। जिलाधिकारी विशाल राज और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इस पहल को स्वास्थ्य सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।