अमौर विधान सभा में नदी कटाव से सैकड़ों परिवार हुए विस्थापित,ग्रामीण अपने हाथों से अपना आशियाना उजाड़ने पर है मजबूर

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सरकार से अभी तक नहीं मिली कोई मदद ।विधायक अख्तरुल ईमान ने सरकार की कार्यशैली पर खड़ा किया सवाल

अमौर विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत अमौर और बैसा प्रखंड में नदी कटाव से सैकड़ों परिवार अभी तक विस्थापित हो चुके है ।कटाव का दंश झेल रहे ग्रामीणों को अभी तक सरकार और प्रशाशन से कोई मदद नहीं मिली है ।महानंदा, कंनकई, परमान सहित अन्य नदियों ने यहां जमकर तांडव मचाया है ।

कटाव से प्रखंड के मठूवा टोली,सिरसी पंचायत के बैर बन्ना, मलहना, हफनिया पंचायत के कई गांव बुरी तरह प्रभावित है । ग्रामीणों ने पाई पाई जोड़ कर अपना आशियाना खड़ा किया था जिसे खुद ही तोड़ने पर मजबूर है ।ग्रामीणों की दयनीय स्थिति को देखने वाला कोई नहीं है ।उजड़ी हुई बस्ती खुद अपना दर्द बयान कर रही है ।महानंदा नदी के कटाव से मठूवा टोली गांव का अस्तित्व समाप्ति पर है ।

मिली जानकारी के अनुसार लगभग 60 परिवार यहां निवास करते थे लेकिन आज एक भी मकान नहीं बचा है सारा आशियाना नदी में समाहित हो चुका है ।अमौर में अभी तक 150 से 200 घर नदी में विलीन हो चुके है जबकि बैसा प्रखंड में भी सैकड़ो घर कट चुके है।


कनकई नदी के किनारे बसे ग्रामीणों की स्थिति काफी दयनीय है।गांव के निवासी सड़क किनारे रहने को मजबूर हैं।ग्रामीणों ने बताया कि उनकी सुधी लेने कोई नहीं पहुंचा है।नदियों का जलस्तर घटने के बाद कटाव और तेज हो चुका है जिसके बाद ग्रामीण रतजगा करने को मजबूर है।

स्थानीय विधायक अख्तरुल ईमान ने सरकार की नियत पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते है कि सरकारी खजाने पर आपदा पीड़ितों का पहला अधिकार है लेकिन यहां जमीनी सच्चाई कुछ और ही है। उन्होंने कहा कि राजस्व कर्मचारी ने अभी तक रिपोर्ट भी नहीं भेजा है और आपदा नियमावली के तहत एक भी सुविधा नहीं मिली है।उन्होंने अविलंब सरकार से कटाव पीड़ितों को मदद प्रदान करने और कटाव निरोधी कार्य करवाने की मांग की है।।

अमौर विधान सभा में नदी कटाव से सैकड़ों परिवार हुए विस्थापित,ग्रामीण अपने हाथों से अपना आशियाना उजाड़ने पर है मजबूर