किशनगंज/विजय कुमार साहा
टेढ़ागाछ प्रखण्ड क्षेत्र में विभिन्न पंचायत में मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक के योजनाओं का निर्माण बड़े पैमाने पर होते दिख रही है,लेकिन किसी भी विभाग से जुड़े आलाधिकारी,अभियंता जो जनता के हितों में सरकार के लिए ईमानदारी व वफादारी के साथ अपना काम कर रहें हैं, ऐसा नहीं दिखता।
गौरतलब है कि सड़क निर्माण से लेकर भवन निर्माण के लिए सरकारी स्तर पर निगरानी के लिए एवं अच्छे निर्माण के लिए सरकारी लोगों की ड्यूटी लगी रहती है,फिर भी निर्माण एजेंसी गलत करते रहते हैं।जिसके कारण निर्माण के कुछ दिनों बाद से ही सरकारी सड़क,सरकारी पुल, व सरकारी भवनों की स्थिति जर्जर हो जाती है।इसके लिए स्थानीय जनता को नेता जी दोषी मानते हैं,नेता जी कहते हैं कि जनता जागरूक नहीं है।
इसलिए काम गलत करके ठेकेदार चले गए और जनता फिर रिपेरिंग के लिए लोगों से मांग करते रहते हैं।वहीं निर्माण एजेंसी, अभियंता एवं आलाधिकारी मिल कर सरकारी योजनाओं को घटिया निर्माण की बलि चढ़ाने में लगे रहते हैं।ऐसे में सरकारी खजाना खाली तो हो रही है, लेकिन इसका परिणाम सकारात्मक आते नहीं दिख रही है।

घटिया निर्माण को भला ग्रामीण एवं स्थानीय लोग क्यों देखेगी!क्यों नहीं सरकारी कर्मचारी,सरकारी अधिकारी व अभियंता को साफ-साफ दिख रही है!अधिकारी पेशे से भ्रष्ट और संवेदनहीन होने के कारण क्षेत्र में निर्माणाधीन कार्य गलत तरीके से कराई जा रही है,फिर भी कोई कहीं से गलत निर्माण को गलत नहीं कह रहे हैं, तो क्या निर्माण एजेंसियों की मनमानी पर कोई अंकुश लगाने का किसी स्तर के अधिकारियों को है या फिर निर्माण के बाद रिपेरिंग करवाने की मांग ही संबंधित अधिकारियों के लिए उपलब्धि है।
उदहारण के लिए टेढ़ागाछ प्रखंड मुख्यालय स्थित जल मीनार निर्माण कार्य पूर्ण होने से पहले धाराशाही होकर जमीन दोज हो गया।इंडोर स्टेडियम भवन का निर्माण 2008 से अबतक अधूरा पड़ा है।झाला से निसन्दरा तक जाने वाली प्रधानमंत्री सड़क निर्माण के बाद से ही जर्जर अवस्था में है।





























