किशनगंज /विजय कुमार साह
नवरात्र के चौथा दिन मंगलवार को मां दुर्गा का चौथा स्वरूप कूष्मांडा की पूजा अर्चना सभी पूजा स्थलों में विधिवत व भक्तिभाव से की गई। नवरात्र के चौथे दिन मां श्रीदुर्गा के चतुर्थ रूप देवी कूष्मांडा को समर्पित है। अपनी मंद मुस्कुराहट और अपने उदर से अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से जाना जाता है।
संस्कृत भाषा में कूष्मांड कूम्हडे को कहा जाता है। कूम्हडे की बलि इन्हें प्रिय है। इस कारण से भी इन्हें कूष्मांडा के नाम से जाना जाता है। जब सृष्टि नहीं थी और चारों ओर अंधकार ही अंधकार था, तब इन्होंने ईषत हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। माता कूष्मांडा तेज की देवी हैं। इन्हीं के तेज और प्रभाव से दसों दिशाओं को प्रकाश मिलता है। कहते हैं कि सारे ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में जो तेज है वो देवी कूष्मांडा की देन है।