मधुबाला मौर्या
प्रगति पथ पर चलता चल
निश्छल भाव से बहता चल
रुक कर थोड़ा साहस भर ले
किन्तु, प्रगति पथ पर चलता चल,
स्मरण -विस्मरण करता चल
अपने वजूद को इंगित कर
प्रलय नहीं प्रहलाद बन तु
प्रगति पथ पर चलता चल,
कुछ न कुछ तो सिमटेगा
कुछ न कुछ तो मिटेगा
अस्तित्व निखर कर आएगा
प्रगति पथ पर चलता चल,
अभ्यास नहीं आभास कर तु
मूर्त नहीं अमूर्त बन तु
सोच नहीं विश्वास बन तु
प्रगति पथ पर चलता चल,
गाँधी के विचार से
भगत के बलिदान से
आशा से विश्वास से
अपनों के आशीर्वाद से –
मंजिल के तटस्थ हो
प्रगति पथ पर चलता चल.
Post Views: 200
1 thought on “प्रगति पथ पर चलता चल”
???
Comments are closed.