किशनगंज/पोठिया/राज कुमार
बिहार राज्य जैव विविधता पर्षद एवं अररिया वन प्रमण्डल अररिया द्वारा किशनगंज जिला अंतर्गत ग्राम पंचायत स्तर पर गठित जैव विविधता प्रबंधन समिति के अध्यक्षों, सदस्यों की क्षमता विकास हेतु एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन डा० कलाम कृषि महाविद्याल अर्राबाड़ी के ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया।
इस कार्यशाला में किशनगंज प्रक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले तीन प्रखण्डों क्रमशः किशनगंज, पोठिया एवं ठाकुरगंज के अध्यक्ष, सदस्य सचिव, सदस्य एवं सम्बद्ध पंचायतों के अन्य ग्रामीण सहित कुल 58 व्यक्तियों ने भाग लिया ।
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कार्यक्रम का उद्घाटन श्री हेम कान्त राय, संयुक्त बिहार राज्य जैव विविधता पर्षद पटना, श्री मिहिर कुमार झा, उप निदेशक, बिहार राज्य जैव विविधता पर्षद, पटना, डा० के सत्यनारायण, प्रधानाचार्य, डा० कलाम, कृषि विश्वविद्यालय, किशनगंज, डा० जे० पी० सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, श्री अंशुमान, वनों के क्षेत्र पदाधिकारी, किशनगंज तथा श्री राधेश्याम राय, बनों के क्षेत्र पदाधिकारी, अररिया एवं जैव विविधता प्रबंधन समिति के महिला सदस्यों द्वारा किया गया।
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कार्यशाला में जैव विविधता प्रबंधन एवं उसके संरक्षण के महत्त्वपूर्ण पहलुओं के संबंध में मार्ग-दर्शन दिया गया। जैव विविधता रजिस्टर के बारे में बताया गया साथ ही बताया गया कि पंचायतों में प्रकृतिक महत्व के भूखण्ड एवं वास स्थल, झील, नदी तट, नदी खण्ड, विलक्षण किस्म के कृषि या बागवानी के स्थल की जानकारी व उनके संरक्षण के कार्य प्रभावी रूप से की जाय। किशनगंज जिला के जैव विविधिता एवं जैव विविधता संबंधी स्थानीय पहलुओं यथा कृषि, पशुपालन, मत्सियकी, भौगोलिक परिस्थिति की भी जानकारी दी गई।
वही कार्यक्रम में जिले के जैव विविधता प्रबंधन समितियों के कार्य, कर्तव्य और दयित्व के बारे में विस्तार से बताया। बताया कि पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीव के विभिन्न रूप हम मनुष्यों के साथ सभी जीवों की आवश्यकताओं की पूर्ति हमारी जैव संपदा द्वारा ही संभव है। जैव विविधता के संरक्षण और संवर्धन में आम नागरिकों की भूमिका अति आवश्यक है।
इसके लिए जैव विविधता प्रबंधन समितियों को आगे आना होगा और आम जनता को जागरूक करना होगा। लोक जैव विविधता पंजी निर्माण की आवश्यकता तथा इसके संधारण प्रक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।
बिहार राज्य जैव विविधता पर्षद राज्य के सभी जैव विविधता प्रबंधन समितियों का सशक्तीकरण कर उन्हे सक्रिय बनाने हेतु पर्यावरण एवं वन विभाग, पंचायती राज विभाग, कृषि विभाग, पशु एवं मतस्य संसाधन विभाग इत्यादि के माध्यम से कराने हेतु कृत संकल्पित है।