अररिया /बिपुल विश्वास
फारबिसगंज प्रखंड क्षेत्र के खेतों में कजरा कीड़ा का आतंक दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. जिससे किसानों की नींद हराम हो गई है. कीड़ा के प्रकोप से सैकड़ों एकड़ में लगी मक्का, गेहूं फसल बर्बाद होने लगी है.खास कर के मक्का के छोटे-छोटे पौधे को नुक्सान पहुंचा रहा है. बताते चलें कि कीड़ा बड़ी तेजी से पौधों के पत्ते को कुतर खा जाता है. वहीं छोटे-छोटे पौधे को इस कदर नुकसान पहुंचा रहा है की पौध जड़ से खत्म हो जाता है.
फारबिसगंज प्रखंड के लहसुनगंज, खैरखां, हलहलिया, रमैय,समौल आदि क्षेत्रों में इस का देखने को मिल रहा है. इस पिल्लू कीड़ा के कहर का आलम यह है कि एक एकड़ में रोजाना 25-30 पौधे नष्ट कर रहें हैं. जानकारों की मानें तो कजरा पिल्लू हल्के कजली रंगा का डेढ़ से दो इंच लंबा यह पिल्लू आमतौर पर आलू के फसल में लगता है. पर इस वर्ष मक्का व गेहूं के फसल पर भी इसका व्यापक असर देखा जा रहा है जो मकई के तने को खाता है साथ ही पत्ती को भी काटता है.
जानकार किसानों व किसान सलाहकार की मानें तो पिल्लू से बचाव को लेकर सावधानी के साथ खेतों में कीटनाशक का उपयोग करना चाहिए. किसान रिजेंट व क्लोरपाइरीफोर नामक कीटनाशक दवा कारगर साबित हो सकती है. जिसका असर दो से तीन दिनों में फसल पर दिखेगा. पहले किसान यह देखे कि कीड़ा पौधे के किस भाग को क्षति पहुंचा रहा. अगर कीड़ा तना के अंदर घुसकर तना काट रहा तो रिजेंट नामक दवा चार से पांच दाना मकई के गभ्भे मतलब उपरी हिस्से में दें जिससे कीड़े मरेंगे और फसल में भी सुधार होगा. अगर कीड़ा तने के साथ पत्ती को भी हानि पहुंचा रहा है तो रीजेंट के अलावा क्लोरपाइरीफोर, खीराडान कारगोपायरान आदि दवा दी जा सकती है. एक लीटर पानी में से 4 एमएल दवा डालकर खेतों में छिड़काव करने से त्वरित फायदा होगा.
क्या कहते हैं अनुमंडल कृषि पदाधिकारी:–
अनुमंडल कृषि पदाधिकारी सुधांश कुमार ने कहा खेतों में पिल्लू लगने की शिकायत उन्हें मिल रही. इस के लिए कृषि विभाग द्वारा एक गाइड लाइन भी किसानों के लिए जारी किया है. ऐसे किसान रीजेंट, क्लोरपायरी फोर आदि किटनाशक दवा चिन्हित दुकानों से लेकर खेतों में डाले. उन्होंने कहा किसान सामूहिक रूप से एक साथ अपने-अपने खेतों में दवा का छिड़काव करें तो ज्यादा असर करेगा. कारण किसी एक किसान के दवा छिड़काव बाद तत्काल तो खेत में कीड़े मारे जाते हैं.परंतु दवा का असर कमने के बाद दूसरे खेतों से कीड़ा पुन: पहुंच जाते हैं. सामूहिक दवा छिड़काव से पुन: कीड़े को फैलने का अवसर नहीं मिलेगा.