धर्म : गणेश चतुर्थी के दिन नहीं करना चाहिए चंद्रमा का दर्शन

बेहतर न्यूज अनुभव के लिए एप डाउनलोड करें

धर्म/डेस्क

देश भर में आज गणेश चतुर्थी का त्योहार धूम धाम से मनाया जा रहा है ।मालूम हो कि इस साल कोरोना महामारी की वजह से कई स्थानों पर सार्वजनिक आयोजनों पर प्रतिबंध है । उसके बावजूद लोग अपने अपने घरों में बप्पा की प्रतिमा स्थापित कर विघ्न विनाशक की पूजा पूर्ण आस्था और विश्वास के साथ कर रहे है । भक्तो का कहना है कि भगवान गणेश जरूर उन्हें इस महामारी से निपटने की शक्ति देंगे ।

गणेश चतुर्थी व्रत व पूजन विधि

1.  व्रती को चाहिए कि प्रातः स्नान करने के बाद सोने, तांबे, मिट्टी की गणेश प्रतिमा लें। 2.  एक कोरे कलश में जल भरकर उसके मुंह पर कोरा वस्त्र बांधकर उसके ऊपर गणेश जी को विराजमान करें। 3.  गणेश जी को सिंदूर व दूर्वा अर्पित करके 21 लडडुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू गणेश जी को अर्पित करके शेष लड्डू गरीबों या ब्राह्मणों को बाँट दें। 4.  सांयकाल के समय गणेश जी का पूजन करना चाहिए। गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश चालीसा व आरती पढ़ने के बाद अपनी दृष्टि को नीचे रखते हुए चन्द्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। 5.  इस दिन गणेश जी के सिद्धिविनायक रूप की पूजा व व्रत किया जाता है।


नहीं करना चाहिए चंद्रमा का दर्शन ।


1.  मान्यता है की इस दिन चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए वरना कलंक का भागी होना पड़ता है। अगर भूल से चन्द्र दर्शन हो जाए तो इस दोष के निवारण के लिए नीचे लिखे मन्त्र का 28, 54 या 108 बार जाप करें। श्रीमद्भागवत के दसवें स्कन्द के 57वें अध्याय का पाठ करने से भी चन्द्र दर्शन का दोष समाप्त हो जाता है।   

चन्द्र दर्शन दोष निवारण मन्त्र:    सिंहःप्रसेनमवधीत् , सिंहो जाम्बवता हतः।  सुकुमारक मा रोदीस्तव, ह्येष स्यमन्तकः।।

2.  ध्यान रहे कि तुलसी के पत्ते (तुलसी पत्र) गणेश पूजा में इस्तेमाल नहीं हों। तुलसी को छोड़कर बाकी सब पत्र-पुष्प गणेश जी को प्रिय हैं। 3.  गणेश पूजन में गणेश जी की एक परिक्रमा करने का विधान है। मतान्तर से गणेश जी की तीन परिक्रमा भी की जाती है।

धर्म : गणेश चतुर्थी के दिन नहीं करना चाहिए चंद्रमा का दर्शन