शायरी:ये जूनून ये इश़्क बना रहे मेरा,दिल तुझ पर…..

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ये जूनून ये इश़्क बना रहे मेरा,दिल तुझ पर

ही फ़िदा रहे मेरा।

ना हो फ़िक्र किसी की न जहान में,

ना इस ज़ेहन में रहे तेरे सिवा कोई मेरा 

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मुकम्मल कहाँ हुई जिन्दगी किसी की..

आदमी कुछ खोता ही रहा कुछ पाने के लिए..!!

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कि अपनी नज़रों से उतारा है हमें,

उसी पे मरते हैं जिसने मारा है हमें,

ये जानता हूँ वो मिल सकता नहीं,

मोहब्बत उसी से मगर दोबारा है हमें।

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कभी लिखा था काग़ज़ पे तेरा नाम अनजाने में ,

उससे बेहतर नज़्म , फिर कभी लिख नहीं पाया

शायरी:ये जूनून ये इश़्क बना रहे मेरा,दिल तुझ पर…..