- मच्छरदानी के प्रयोग के साथ ही साफ, सफाई स्वच्छता बरतनी है जरूरी
किशनगंज :डेंगू, मच्छर से होने वाली बीमारियों में से एक घातक बीमारी है। डेंगू संक्रमण मादा एडीज़ नामक मच्छर के काटने से फैलता है। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि डेंगू के प्रति शिशुओं, वयस्कों बुज़ुर्गों खासकर गर्भवती महिलाओं को सावधानी बरतनी चाहिए। उन्होंने बताया कि डेंगू में अचानक बुखार शुरू होने के साथ-साथ आमतौर पर सिरदर्द, थकावट, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, लिम्फ नोड्स में सूजन और दाने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
- गर्भावस्था को भी करता है प्रभावित
–सदर अस्पताल की महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शबनम यास्मिन ने बताया कि गर्भावस्था में वैसे भी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर काफी प्रभाव पड़ता है। जिससे डेंगू होने का ख़तरा काफी बढ़ जाता है। अगर किसी गर्भवती महिला को डेंगू हो जाता है तो इससे उनके स्वास्थ्य के साथ-साथ गर्भ पर भी काफी बुरा प्रभाव पड़ता। कई बार तो देखा गया है कि डेंगू के कारण कई महिलाओं का गर्भ भी गिर जाता और साथ ही साथ मां की जान पर भी खतरा बढ़ सकता है। इसलिए गर्भावस्था में महिलाओं को अपना अच्छे से ध्यान रखना चाहिए और बचाव करना चाहिए। जिससे वे खुद को और होने वाले बच्चे को डेंगू संक्रमण से बचा सकें। - डेंगू होने पर गर्भवती महिलाओं में दिखते हैं ऐसे लक्षण-
गर्भवती महिला को अगर डेंगू हो जाए तो उसे काफी भारी मात्रा में रक्तस्राव हो सकता है। जिससे कमज़ोरी और दूसरी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।मृत्यु दर भी बढ़ जाता है। डेंगू से मां और बच्चा काफी कमज़ोर हो जाते हैं। समय से पहले बच्चे का पैदा होना भी एक चिंताजनक शिकायत है। प्लेटलेट्स (रक्त कोशिकाओं) की भारी संख्या में कमी हो जाना एक सबसे बड़ी दिक्कत है।
- मां से बच्चे को डेंगू होने की आशंका कम–
भीबीडीसीओ डॉ मंजर आलम ने बताया कि मां से गर्भस्थ शिशु को डेंगू हो इसकी आशंका कम होती है। उन्होंने बताया कि यदि गर्भवती महिला को शिशु के जन्म के समय डेंगू हो, तो नवजात शिशु को जन्म के बाद शुरुआती दो हफ्तों में डेंगू होने का ख़तरा रहता हैं। गर्भ में शिशुओं में डेंगू होने का पता लगाना काफी मुश्किल हो सकता है। इसलिए इससे बचाव ही एकमात्र उपाय है।
डेंगू मरीजों के लिए पीएचसी स्तर पर विशेष वार्ड व जीएमसीएच में 10 बेड़ आरक्षित: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि जिले के सभी प्राथमिक, सामुदायिक, रेफरल अस्पताल में मच्छरदानी के साथ पांच / पांच बेड बनाकर तैयार किया गया है। जबकि सदर अस्पताल में 10 बेड को अलग से सुरक्षित रखा गया है। ताकि जिले में डेंगू के मरीज़ मिलने पर उसका समुचित उपचार कर जल्द से जल्द ठीक किया जा सके। वहीं जिले के सभी निजी अस्पताल संचालकों को आवश्यक रूप से सख़्त निर्देश दिया गया है कि किसी भी मरीज की जांच में अगर डेंगू की पुष्टि होती है तो अविलंब विभाग को सूचित किया जाना चाहिए। जिला मुख्यालय स्थित अस्पताल में प्लेटलेट्स भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। साथ ही सभी स्वास्थ्य केंद्रों में कुल 1049 डेंगू जांच रेपिड एन्तिजेंट किट उपलब्ध है। सदर अस्पताल में एनएस 1 एलिसा टेस्ट किट भी उपलब्ध करवाया गया है। जिले में डेंगू कण्ट्रोल रूम की स्थापना की गयी है। जहां 06456-226115 दूरभाष पर बात कर जानकारी प्राप्त की जा सकती है | जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री के निर्देश पर शहरी क्षेत्रों में नगर परिषद की मदद से फॉगिंग की जा रही है। उन्होंने कहा कि डेंगू से बचाव को लेकर जरूरी एहतियाती उपायों पर अमल जरूरी है। ग्रामीण क्षेत्रो में आशा के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है।