विद्यालयों के अवकाश में कटौती से नाराज शिक्षको ने किया पूतला दहन, आदेश का प्रति जलाकर दर्ज किया विरोध

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अररिया  /अरुण कुमार 

शिक्षा विभाग बिहार के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के मौखिक आदेश पर रक्षाबंधन छुट्टी रद्द होने पर सैकड़ों की संख्या में स्थानीय चांदनी चौक अररिया पहुंचकर शिक्षकों ने छुट्टी रद्द करने संबंधी आदेश का प्रति जलाकर विरोध प्रकट किया। टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ अररिया कार्यकारी जिला प्रधान सचिव राजेश कुमार, जिलाध्यक्ष आफताब फिरोज़, कार्यकारी जिलाध्यक्ष मेराज़ ख़ान, जिला वरीय उपाध्यक्ष दीनबंधु यादव, जिला प्रवक्ता राहुल झा, जिला उपाध्यक्ष रुपेश कुमार, विजय कुमार गुप्ता,सरवर आलम,अरसलान मोहसिन, उदित कुमार वर्मा, सद्दाम हुसैन, ज़ीशान अहमद,  आदि ने संयुक्त रूप से बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा रक्षाबंधन जैसे पवित्र त्योहार की छुट्टी को रद्द कर दिया गया है ।

साथ ही चेहल्लुम, अनन्त चतुर्दशी, दुर्गापूजा, दीपावली, भैयादूज और छठ पर्व जैसे पवित्र त्योहारों के छुट्टियों में विभाग द्वारा मनमाने ढंग से कटौती की गई है। जहां एक तरफ सरकार बाल केन्द्रित शिक्षा की बात करती है वहीं दूसरी ओर त्योहारों के मौके पर विद्यालय खोलकर रखने का आदेश दे रही है।क्या बच्चे त्योहार के दिन विद्यालय आएंगे? बच्चों को जबरन विद्यालय आने को कहना कहीं न कहीं बच्चों को अपने संस्कृति और रीति रिवाजों से वंचित करने जैसा है और यह बाल अधिकारों का हनन है।

 वर्षों से जिन मुख्य त्योहारों पर विद्यालयों में छुट्टी की परंपरा चला आ रही है उस परंपरा को तोड़ना कहीं न कहीं भारतीय संस्कृति और सभ्यता के खिलाफ एक षड्यंत्र है। राज्य से जारी जिस पत्र में छुट्टी में कटौती संबंधित आदेश है दिया गया है।हवाला दिया गया है कि शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के तहत प्राथमिक विद्यालयों में 200 दिनों एवं मध्य विद्यालयों में 220 दिन कार्य दिवस का प्रवधान है।

जिसे पूरा करने के लिए सभी अवकाशों को रद्द किया गया है। जबकि राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों में ग्रीष्मावकाश, राष्ट्रीय त्योहार, महापुरुषों की जयंती एवं सभी धर्मों के त्योहारों को मिलाकर मात्र 60 दिनों का अवकाश तथा 52 दिन रविवार या शुक्रवार का साप्ताहिक अवकाश और 16 आकस्मिक अवकाश ही देय है।जो शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों के अनुकूल है इसलिए इसमें किसी भी प्रकार का कोई भी कटौती किया जाना कहीं से भी न्यायोचित नहीं है।

 राज्यकर्मी का दर्जा, ऐच्छिक स्थानांतरण, पुरानी पेंशन शिक्षकों की न्यायोचित मांग है जिसको लेकर राज्य भर के शिक्षक लगातार संघर्षरत हैं और सरकार ने भी राज्यकर्मी का दर्जा देने का भरोसा दिया है। इसलिए विभाग को और सरकार को चाहिए कि शिक्षकों के न्यायोचित मांगों को पूरा करें बिना मतलब का पत्र निकालकर शिक्षकों को प्रताड़ित नहीं करें क्योंकि हम शिक्षकों की मंशा साफ है हमें हमारा लोकतांत्रिक अधिकार राज्यकर्मी का दर्जा मिले और हम लगातार शैक्षणिक कार्यों को और बेहतरीन तरीके से करते रहें गुणवत्तापूर्ण और सुगमतापूर्वक बच्चों को शिक्षा दे सकें हम शिक्षकों को अनर्गल पत्रबाजी करके मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का प्रयास नहीं किया जाए।

विद्यालयों के अवकाश में कटौती से नाराज शिक्षको ने किया पूतला दहन, आदेश का प्रति जलाकर दर्ज किया विरोध