- मामला चकला निर्मली वार्ड नंबर-7 का
प्रवीण गोविन्द /अतिथि संपादक
सुपौल : चकला निर्मली (न्यू कॉलोनी) वार्ड नंबर 07 में बनी सड़क व नाले निर्माण के दो-तीन माह के अंदर ही दरकने लगा है। बता दें कि न्यू कॉलोनी में इसी बीच में सड़क बनी है, साथ ही नाले का निर्माण भी हुआ है। खुलेआम दो नंबर के बालू का प्रयोग हुआ। एक नंबर ईंट की तो बात ही छोड़िए। ईंट के बदले टुकड़ों का भी सरेआम प्रयोग हुआ।
सरकारी तंत्र की नाक के नीचे लूट का हुआ खुला खेल
जिन पर इस सड़क की निगहबानी का जिम्मा था वो आंखें मूंदकर तीन नंबर काम का तमाशा देखते रहे। इस खेल को रोकने की कोशिश नहीं की गई। पूरी सरकारी तंत्र की नाक के नीचे लूट का खुला खेल हुआ। जिम्मेदार सोते रहे।

नियम-कानून कागजों में ही लिखे रह गए। अलमारियों में बंद फाइलों की ‘खुशबू’ में मदहोश होकर अफसर कुर्सियों पर बैठे रहे। जिस किसी का भी मौन शह और मिलीभगत हो सड़क बनकर तैयार भी हो गई। जिम्मेदारों ने ना कभी निरीक्षण किया, न रोका, न टोका। आंखों के सामने तीन नंबर का काम होता रहा, कोई कुछ नहीं कर पाए। यूं कहिए कुछ करना ही नहीं चाहा।
जिम्मेदारों को जवाब तो देना ही होगा
बहरहाल, जिम्मेदारों को जवाब देना ही पड़ेगा। कार्य से सम्बंधित सभी जानकारी नहीं चाहकर भी आपको देना ही होगा। कार्य से सम्बंधित लेबर रजिस्टर की प्रति, मेजरमेंट बुक, स्केच, प्राक्कलन की प्रति, उस अभियंता का नाम जिन्होंने काम का निरीक्षण किया और भुगतान की स्वीकृति दी। जवाब तो देना ही होगा। अगर काम का निरीक्षण हुआ तो फिर तीन नंबर का काम कैसे? ईंट की जगह टुकड़ों का भी प्रयोग क्यों? दो नंबर के बालू का उपयोग क्यों? जवाब तो देना ही होगा।

तीस साल में एक सुई तक का कारखाना नहीं लगाने वाले बाबा बने बैठे हैं विश्वकर्मा
कुल मिलाकर, बेशक इलाके में बदलाव आया है किन्तु, इसका स्वरूप…! अब कमीशन तक की एडबांस बुकिंग होने लगी है। इस बीच मे भी बुकिंग हुई है, 10-10 प्रतिशत। हालांकि यह एक जांच का विषय है। आंकड़ों के भुसभुसापन पर मत जाइए। सरजमीं पर आइएगा तो पाइएगा कि सच्चाई से इतर गाए जा रहे हैं विकास के गीत। तीस साल में एक सुई तक का कारखाना नहीं बनाने वाले बाबा, विश्वकर्मा बने बैठे हैं। हमने पहले ही कहा था कि जब बारिश होगी, पोल खुलने की गारंटी है, खुल भी गई।

डीएम पर टिकी निगाहें
श्री महेंद्र कुमार, डीएम।
बहरहाल, सुपौल के जिला पदाधिकारी (डीएम) की गिनती एक ईमानदार पदाधिकारी के रूप में होती है। लोगों की नजर डीएम पर टिकी हुई है। सो आगे-आगे देखिए होता है क्या।
( साथ में विद्या शंकर ठाकुर एवं अमलेश कुमार झा)