किशनगंज:जिले के न्यूरल ट्यूब हाइड्रो सिम्फल एवं मोटर डीले बीमारियों से ग्रसित तीन बच्चों को ऑपरेशन के लिए भेजा गया एम्स पटना

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-बच्चे में सामाजिक और भावनात्मक विकास में देर होने पर दुनिया को देखने के उसके नजरिए पर प्रभाव पड़ता है


-इलाज की पूरी प्रक्रिया में परिवार को नहीं होगा कोई भी खर्च

किशनगंज :बच्चे का जन्म पूरे परिवार के लिए खुशियों से भरा होता पर जन्म से ही अगर बच्चा किसी जानलेवा रोग से ग्रसित हो तो परिवार के लिए यह सबसे मुश्किल घड़ी हो जाती है। जिला के टेढ़ागाछ प्रखंड के 26 माह का आयुष कुमार एवं 20 माह का अनस रेजा मोटर डीले रोग से ग्रसित मिला। वहीं टेढ़ागाछ प्रखंड के बेलबादी ग्राम की 22 माह की समृद्धि सिंह न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट से ग्रसित मिली है ।मामले की जानकारी मिलने पर सिविल सर्जन डॉ. कौशल किशोर ने जिला में कार्यरत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के डिस्ट्रिक्ट अर्ली इन्वेंशन सेंटर (डीईआईसी) द्वारा इसे सदर अस्पताल से एम्बुलेंस से एम्स पटना भेजा गया जहां इनका सफल इलाज होगा ।
बच्चे में सामाजिक और भावनात्मक विकास में देर होने पर दुनिया को देखने के उसके नजरिए पर प्रभाव पड़ता है –
सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि मोटर स्किल डेवलपमेंट से ग्रसित होने से बच्चे बचपन से ही मोटर स्किल डेवलपमेंट डीले का अनुभव करता है, तो उसे कुछ निश्चित मूवमेंट में तालमेल बिठाने में, क्रेयॉन उठाने में, ड्राइंग करने में, चलने या दौड़ने और ऐसी ही मिलती-जुलती शारीरिक एक्टिविटीज में दिक्कत आ रही थी। जिनमें दिमाग और हाथ के तालमेल की जरूरत होती है। जिसके कारण बच्चे में सामाजिक और भावनात्मक विकास में देर होने पर दुनिया को देखने के उसके नजरिए पर प्रभाव पड़ता है। , जिसके कारण एक ही वातावरण से संपर्क होने पर, वह अपने हम उम्र बच्चों की तुलना में अलग तरह से प्रतिक्रिया देता है। इन विलंबों के कारण, बच्चे के सीखने, बातचीत करने और दूसरे बच्चों और बड़ों के साथ इंटरेक्ट करने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। जिसका सही समय पर इलाज नहीं करवाने की स्थिति में यह जिंदगी भर अपाहिज बना सकता है। वहीं न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट दिमाग, स्पाइनल कॉर्ड और रीढ़ की हड्डी की जन्मजात विकृति है। यह तब दिखता है, जब दिमाग और रीढ़ की हड्डी में ऐसा विकार बन जाए कि यह पूर्ण रूप से बंद होने में विफल हो जाए। न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट गर्भावस्था के पहले 5 हफ्तों में ही हो जाता है। यह बहुत ही गंभीर जन्मजात रोग है।

परिवार को नहीं होगा कोई भी खर्च :


आरबीएसके जिला समन्वयक डॉ. शर्मा ने बताया कि पूरी जांच और ऑपरेशन की प्रक्रिया आरबीएसके टीम द्वारा ही की जाएगी । इस पूरी प्रक्रिया में परिजनों को किसी तरह का कोई भी खर्च नहीं करना पड़ेगा । ऑपरेशन के बाद भी बच्चे की फीडबैक के लिए टीम के द्वारा उनके घर जाकर नियमित जानकारी ली जाती है। आरबीएसके टीम बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए नियमित रूप से कार्यरत है। सिविल सर्जन डॉ. कौशल किशोर के आदेश से बच्चे को तुरंत एम्बुलेंस के माध्यम से भेजा गया। वहां आरबीएसके समन्वयक डॉ केशव किशोर की देखरेख में बच्चे का सफल इलाज करवाया जायेगा । ऑपरेशन के बाद सभी प्रकार की जांच सही आने के बाद फिर एम्बुलेंस द्वारा बच्ची व उनके परिजन को घर तक पहुँचाया जायेगा ।

आरबीएसके के तहत 38 रोगों का इलाज किया जाता है –


सिविल सर्जन डॉ. कौशल किशोर ने बताया कि इन बच्चों का राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सफल इलाज किया जायेगा। इसके लिए जिले के राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की पूरी टीम धन्यवाद की पात्र है। जिन्होंने बच्ची के ह्रदय एवं अन्य इलाज के लिए स्क्रीनिंग का कार्य किया है। 18 साल तक के बच्चों को किसी प्रकार की गंभीर समस्या होने पर आईजीआईएमएस, एम्स, पीएमसीएच इलाज के लिए भेजा जाता है। टीम में शामिल एएनएम, बच्चों का वजन, उनकी लंबाई व सिर एवं पैर आदि की माप आदि करती हैं। फॉर्मासिस्ट ,रजिस्टर में स्क्रीनिंग किये गये बच्चों का ब्योरा तैयार करते हैं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 0 से 18 साल तक के सभी बच्चों को चार मुख्य समस्याओं पर केंद्रित किया जाता है। इनमें डिफेक्ट एट बर्थ, डिफिशिएंसी डिजिज, डेवलपमेंट डीले तथा डिसएबिलिटी आदि शामिल हैं। इससे जुड़ी सभी तरह की बीमारी या विकलांगता को चिह्नित कर इलाज किया जाता है। आरबीएसके के तहत 30 तरह की बीमारियों का इलाज किया जाता है।

किशनगंज:जिले के न्यूरल ट्यूब हाइड्रो सिम्फल एवं मोटर डीले बीमारियों से ग्रसित तीन बच्चों को ऑपरेशन के लिए भेजा गया एम्स पटना