दिल्ली :2022-23 की खरीफ फसल में से केंद्रीय स्टॉक के लिए धान की खरीद 518 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान

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देश /डेस्क 

राज्य खाद्य सचिवों और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की एक बैठक आयोजित की गई।बैठक की अध्यक्षता उपभोक्ता कार्य और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) में सचिव श्री सुधांशु पांडे के द्वारा की गई।बैठक में आगामी खरीफ विपणन सीजन (केएमएस) 2022-23 की खरीफ फसल के लिए खरीद प्रबंधों पर चर्चा हुई है।

बैठक में मुख्‍य सचिव/सचिव (खाद्य) और आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, राजस्थान, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में एफसीआई के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक और एफसीआई, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग, भारतीय मौसम विभाग और कृषि और किसान कल्याण विभाग के अन्य अधिकारी भी शामिल थे।

मंत्रालय द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया गया की आगामी केएमएस 2022-23 (खरीफ फसल) के दौरान 518 एलएमटी चावल की मात्रा की खरीद का अनुमान लगाया गया है, जबकि पिछले केएमएस 2021-22 (खरीफ फसल) के दौरान वास्तव में 509.82 एलएमटी की खरीद की गई थी।

बैठक के दौरान, मशीनीकृत खरीद कार्यों को अपनाने, कम ब्याज दर पर उधार लेने, खरीद कार्यों की लागत में कमी, नवीन तकनीकों और गुणवत्ता नियंत्रण तंत्र को अपनाने, मोटे अनाज को बढ़ावा देने, बोरियों की आवश्यकताओं, खाद्य सब्सिडी दावों के ऑनलाइन निपटान आदि से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई और सुझाव दिया गया कि ऐसे नवाचारों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।

श्री पाण्डे ने कहा कि न केवल अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष -2023 के कारण, बल्कि जलवायु परिवर्तन के कारण भी मोटे अनाज की खरीद पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। जलवायु परिवर्तन से गेहूं और चावल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और इसके परिणामस्वरूप उनके उत्पादन में कमी आई है। आगामी केएमएस 2022-23 के दौरान राज्यों ने खरीद के लिए 13.70 एलएमटी दानेदार अनाज “सुपर फूड” का प्रस्ताव किया, जबकि अब तक वास्तविक खरीद 6.30 एलएमटी है।

सचिव, डीएफपीडी ने पैकेजिंग सामग्री की कमी की समस्या पर प्रकाश डाला। यह कहा गया कि पैकेजिंग सामग्री की व्यवस्था करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य बन गया है क्योंकि जूट मिलों के माध्यम से केवल 50 प्रतिशत की आवश्यकता की व्यवस्था की जा सकती है। इस समस्या का समाधान करने के लिए, डीएफपीडी नई टेक्‍नोलॉजी-स्‍मार्ट जूट बैग्स (एसजेबी)  के परीक्षण के माध्यम से नए जूट बैग के उत्पादन/उपलब्धता में वृद्धि की संभावनाओं का पता लगा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, परीक्षण सफल पाए गए हैं और ये अंतिम चरण में हैं।उक्त जानकारी उपभोक्ता कार्य और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया गई है।

दिल्ली :2022-23 की खरीफ फसल में से केंद्रीय स्टॉक के लिए धान की खरीद 518 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान